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समुद्र मंथन की कहानी | महाकुंभ 2025
यह कहानी सिखाती है कि हमें निःस्वार्थ होना चाहिए और दूसरों के लिए करुणा रखनी चाहिए।

Story
बच्चों, क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव को नीलकंठ क्यों कहा जाता है? इसका जवाब एक रोमांचक कहानी में मिलता है जो भागवतं से है, जब भगवान शिव के निःस्वार्थ कार्य से यह साबित हुआ कि उन्हें देवों के देव, महादेव के रूप में क्यों पूजा जाता है। इस कहानी में हम यह भी जानेंगे कि कुंभ मेले के इतिहास में समुद्र मंथन के प्रसंग की क्या भूमिका है।
आइए, कहानी सुनते हैं।
एक समय, देवता (देव) और राक्षस (असुर) दोनों ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली बनना चाहते थे। वे भगवान विष्णु के पास अनंत शक्ति का रहस्य जानने गए। भगवान विष्णु ने सुझाव दिया कि देवता और राक्षस दोनों मिलकर क्षीर सागर का मंथन करें, जिससे अमृत निकलेगा, जो शक्ति और अमरता प्रदान करता है।
इस मंथन प्रक्रिया को "समुद्र मंथन" कहा गया।
