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भटके हुए यात्री की अनोखी कहानी

यह कहानी हमें सिखाती है कि ज्ञान हमें सच को देखने और समझने में मदद करता है।

भटके हुए यात्री की कहानी

कहानी


एक समय की बात है, ऊँचे पहड़ों और जंगलों से घिरी एक घाटी में कवी नाम का एक यात्री, जीवन का असली मतलब जानने के सफ़र पर निकला। उसने सुना था कि एक बुद्धिमान साधु हैं, जो जीवन के गहरे सवालों के जवाब दे सकते हैं।


कवी घंटों तक घुमावदार रास्तों पर चलता रहा, जो घने जंगल से होकर गुजरते थे। जब सूरज ढल गया, तो जंगल में अंधेरा छा गया। पत्तों की सरसराहट और जानवरों की आवाजें सुनकर उसे डर और अकेलापन महसूस हुआ।


"मैं कहाँ हूँ? मैं अपना रास्ता कैसे ढूँढूँगा?" उसने सोचा।


अचानक, घने अंधेरे जंगल में, कवी ने एक हल्की-सी रोशनी देखी। वह एक छोटा सा दीपक था, जो अंधेरे में टिमटिमा रहा था। दिल में उम्मीद लेकर, कवी उस रोशनी के पीछे चल पड़ा। हर कदम के साथ वह रोशनी के करीब पहुँचता गया और उसका डर कम होता गया।


आखिरकार, वह एक छोटी सी झोपड़ी तक पहुँचा। दीपक की हल्की रोशनी में, अंदर बैठे एक साधु का शांत चेहरा दिखा।


साधु ने कवी का प्यार से स्वागत किया और उसे पीने के लिए पानी दिया।


आराम करने के बाद, कवी ने कहा, "मैं ज्ञान की तलाश में हूँ, सच जानने के लिए सही समझ चाहता हूँ। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।"


साधु ने कहा, "जो जानना चाहते हो, वह मुझसे पूछो। जवाब पाने के लिए तुम्हें सवाल पूछने होंगे।"




कवी कुछ देर रुका और फिर पूछा, "गुरुजी, इस छोटे से दीपक ने मुझे बड़े अंधेरे जंगल में कैसे रास्ता दिखाया? यह इतना छोटा था, फिर भी इसने मेरी मदद की।"


साधु मुस्कुराए और बोले, "यह दीपक सत्य की तरह है। अंधेरे में भी सत्य एक मार्गदर्शक रोशनी की तरह चमकता है। यह भले ही छोटा लगे, लेकिन अगर तुम इस पर विश्वास रखो, तो यह हमेशा तुम्हें सुरक्षित रास्ते पर ले जाएगा।"


कवी ने कुछ पल सोचा और फिर पूछा, "लेकिन मैं कैसे जानूँगा कि सत्य क्या है? अगर मैं गलत रास्ते पर चल पड़ा तो?"


साधु ने कहा, "सत्य को साफ़ देखने के लिए तुम्हें ज्ञान की जरूरत है। ज्ञान आँखों की तरह है, जो तुम्हें दीपक की रोशनी देखने में मदद करता है। समझ के बिना, तुम सत्य को पहचान नहीं पाओगे।"


कवी ने सिर हिलाया, उसकी जिज्ञासा और बढ़ गई। "और रोशनी के पार क्या है? जब मैं वहाँ पहुँचूँगा तो क्या होगा?"


साधु ने खिड़की के बाहर आसमान की ओर इशारा किया।


साधु ने पूछा, "कवी, क्या तुम वे तारे देख रहे हो? वे बहुत दूर तक जाते हैं, जहाँ तक तुम्हारी आँखें नहीं देख सकतीं। यही अनंत है—असीम; यह जीवन के कभी न खत्म होने का प्रतीक है।"


"लेकिन जीवन कैसे अनंत हो सकता है?" कवी ने पूछा।


साधु ने कवी को प्यार से समझाया कि नदियाँ छोटी-छोटी बारिश की बूँदों या पहाड़ों में पिघलती बर्फ से शुरू होती हैं और आखिर में सागर में मिल जाती हैं। लेकिन यह उनका अंत नहीं है। पानी अपना सफ़र जारी रखता है। वह बादल बनकर ऊपर उठता है और फिर बारिश के रूप में वापस गिरता है। यह दिखाता है कि जीवन लगातार चलता रहता है, बदलता रहता है और सब एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।


"सत्य और ज्ञान केवल शुरुआत हैं। ज्ञान से ताकत और समझ मिलती है, जो चीजों के असली स्वरूप को पहचानने में मदद करती है। यही ब्रह्म है—सर्वोच्च सत्य।"


कवी बाहर आया और तारों को देखने लगा। पहली बार, उसने गहरी शांति महसूस की।


साधु उसके पास खड़े हुए और बोले, "याद रखना, कवी, सत्य हमेशा तुम्हें राह दिखाएगा। ज्ञान तुम्हें सत्य को पहचानने में मदद करेगा। और जब तुम्हारे पास दोनों होंगे, तो तुम अनंत—जीवन के असीम रूप—को समझोगे। यही यात्रा हम सबको करनी है।"



कवी ने साधु को झुककर प्रणाम किया, उनके ज्ञान और दया के लिए धन्यवाद दिया। उसने खुद से वादा किया कि वह हमेशा सत्य की खोज करेगा, ज्ञान अर्जित करेगा और जीवन की विशालता को समझेगा। उसने सीखा कि ज्ञान से हम कठिन से कठिन समय में भी अपना रास्ता पा सकते हैं। यह हमें समझ और जीवन की अनंत संभावनाओं की ओर ले जाता है।

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सत्यं च ज्ञानं च ब्रह्म:

Satyam jnanam anantam brahma


स्रोत: तैत्तिरीय उपनिषद् (2.1.1)


अर्थ:
सत्य और ज्ञान (बुद्धि) ही ब्रह्म (परम सत्य) हैं।

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Story type: Motivational

Age: 7+years; Class: 3+

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