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ईमानदार लड़का और भूखा कुत्ता

यह कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी और दया ही भगवान तक पहुँचने का सच्चा रास्ता हैं।

Imaandaar Ladka aur Bhuka Kutta

कहानी


गोविंद नगर नाम के एक छोटे से शहर में रोहित नाम का एक खुशमिज़ाज लड़का रहता था। उसे खेतों में खेलना, पतंग उड़ाना और दादी की कहानियाँ सुनना बहुत पसंद था।दादी अक्सर उसे भगवान और देवताओं की कहानियाँ सुनाती थीं। ये सुनकर रोहित सोचता,“भगवान तो सुपरहीरो जैसे हैं! काश मैं भगवान को देख पाता!”


वह बार-बार पूछता,“दादी, भगवान कहाँ रहते हैं? मैं उन्हें कैसे देख सकता हूँ?”


दादी मुस्कुराकर कहतीं,“बेटा, भगवान वहाँ रहते हैं जहाँ ईमानदारी और दया होती है।”


एक सुबह, जब रोहित स्कूल जा रहा था, उसने रास्ते में एक चमकता हुआ सिक्का देखा।वह खुश होकर बोला, “वाह! इससे मैं मिठाई या खिलौना खरीद सकता हूँ!”फिर उसे दादी की बात याद आई, “यह सिक्का मेरा नहीं है। अगर मैं इसे रख लूँ, तो यह बेईमानी होगी।”


इसलिए उसने पास की दुकान पर जाकर कहा,“अंकल, किसी का सिक्का गिर गया है, आप इसे संभाल लीजिए।”


दुकानदार चकित होकर बोला,“रोहित, तुम बहुत ईमानदार बच्चे हो। ज़्यादातर बच्चे इसे अपने पास रख लेते।”


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उस दिन स्कूल से लौटते समय रोहित मंदिर के पास से गुज़र रहा था। उसने देखा कि एक दुबला-पतला, भूखा कुत्ता पेड़ की छाया में पड़ा है कुत्ता बहुत कमजोर और उदास लग रहा था।


रोहित ने अपना टिफिन खोला और खाना उसके सामने रख दिया।कुत्ते ने खुशी से अपनी पूँछ हिलाई और खाना खाने लगा।रोहित के दिल में बहुत खुशी हुई।


उस रात जब रोहित सो रहा था, तो उसने एक सुंदर सपना देखा।


कमरा सुनहरी रोशनी से भर गया और एक मधुर, प्यारी आवाज़ आई, “रोहित, तुम्हारी ईमानदारी और दया तुम्हें मुझसे बहुत करीब लाती है।याद रखना, मैं वहाँ रहता हूँ जहाँ सच्चाई, दया और सबके लिए प्यार होता है। इन गुणों से तुम हमेशा मुझे महसूस कर सकते हो।”


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सुबह जब रोहित जागा, उसका मन बहुत हल्का और खुश था। अब उसे दादी की बात सच में समझ आ गई थी।


उसने खुद से वादा किया - “मैं हमेशा ईमानदारी से रहूँगा और सबकी मदद करूँगा। यही भगवान तक पहुँचने का रास्ता है।”

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Shloka


अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम् ।
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम् ॥

Ahimsa satyam akrodhas tyagah shantir apaisunam
Daya bhuteshvaloluptvam mardavam hrir achapalam


Source: Bhagavad Gita 16.2


अर्थ:
अहिंसा, सत्यनिष्ठा, क्रोध का अभाव, त्याग, शांति, दोष न ढूँढना, सभी प्राणियों के प्रति करुणा, लोभ का अभाव, कोमलता, नम्रता और स्थिरता - ये सभी दिव्य गुण हैं।

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Story type: Motivational

Age: 7+years; Class: 3+

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