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ईमानदारी से जीत होती है
यह कहानी हमें सिखाती है कि झूठ से जल्दी सफलता मिल सकती है, ले किन केवल ईमानदारी से स्थायी जीत मिलती है।

कहानी
स्कूल का वार्षिक खेल दिवस था और सभी बच्चे बड़ी दौड़ के लिए इकट्ठे हुए थे। जीतने वाले को मेडल मिलेगा और उसका नाम स्कूल की वॉल ऑफ़ फ़ेम पर लिखा जाएगा।
पहली दौड़ लड़कों की 800 मीटर की थी। सीटी बजते ही सभी बच्चे अपनी पूरी ताकत से दौड़ने लगे। विवेक पूरी मेहनत से दौड़ रहा था, जबकि राघव ने, किसी भी कीमत पर जीतने के लिए, एक बच्चे को धक्का देकर शॉर्टकट ले लिया।
राघव पहले फिनिश लाइन पर पहुँचा और गर्व से हाथ ऊपर उठाकर बोला, “मैं जीता!” उसने चिल्लाया।
ट ीचर पुरस्कार देने के लिए आगे बढ़ीं।
लेकिन इससे पहले कि वह मेडल दें, अन्य बच्चों ने कहा, “राघव ने धोखा दिया! उसने मुझे धक्का दिया।”“वह पूरा रास्ता नहीं दौड़ा,” दूसरे ने कहा।
टीचर ने राघव की तरफ देखा, “क्या यह सच है?” राघव ने सिर झुका लिया। उसे पता था कि उसने गलत किया।
फिर उन्होंने विवेक की तरफ देखा। वह थका हुआ था, घुटने पर मिट्टी लगी थी, लेकिन उसने ईमानदारी से पूरा दौड़ पूरा किया था।

टीचर मुस्कुराई और बोलीं, “बच्चों, याद रखना जो हमारे शास्त्र कहते हैं: सत्यमेव जयते, नानृतं – जिसका मतलब है: केवल सत्य ही जीतता है, झूठ नहीं। बेईमानी से जीत कोई जीत नहीं होती।”
उन्होंने मेडल विवेक को दिया और राघव के कंधे पर हाथ रखकर कहा, “जीत स्वादिष्ट होती है, लेकिन केवल तब जब वह ईमानदारी से कमाई जाए। झूठ एक पल के लिए चमकता है, लेकिन ईमानदारी हमेशा चमकती है।”
राघव ने आँखों से आँसू पोंछते हुए कहा, “मैं कभी धोखा नहीं दूँगा। आज से मैं ईमानदार रहूँगा।”
सभी बच्चों ने तालियाँ बजाईं, क्योंकि उस दिन उन्होंने भी सीख लिया कि अंत में सत्य ही हमेशा जीतता है।
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Shloka
सत्यमेव जयते नानृतं।
सत्येन पन्था विततो देवयानः।
satyam eva jayate nanrtam
satyena pantha vitato devayanah
Source: Mundaka Upanishad, 3.1.6.
अर्थ: केवल सत्य ही विजय पाता है, झूठ नहीं।
सत्य से ही ईश्वरीय मार्ग फैलता है।
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Story type: Motivational
Age: 7+years; Class: 3+






















