लालटेन की रोशनी का कारण?
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच के रास्ते पर चलना चाहिए, अच्छे काम करने चाहिए और कुछ नया सीखते रहना चाहिए।

कहानी
पहाड़ की घाटी में बसे एक छोटे से गाँव में, वानी नाम की एक बूढ़ी औरत रहती थी। वह अपनी रहस्यमयी और जादुई लालटेन के लिए मशहूर थीं। लोग उसे "लालटेन रक्षक" कहते थे क्योंकि वह एक खूबसूरत लालटेन हमेशा अपने साथ रखती थीं, जो कभी बुझता नहीं था। कहा जाता था कि जब कोई सच बोलता या कोई अच्छा काम करता, तो वह लालटेन और भी तेज़ चमकने लगता था।
एक शाम, कुछ बच्चे वानी की छोटी-सी झोपड़ी के पास इकट्ठा हुए।उन्होंने बाहर रखी लालटेन से हल्की रोशनी निकलती देखी। उन बच्चों में मीरा नाम की एक समझदार छोटी लड़की भी थी।
मीरा ने पूछा, "दादी, आपकी लालटेन हमेशा क्यों जलती रहती है? क्या यह जादुई है?"
वानी मुस्कुराई और बोली, "हाँ, बच्ची, यह जादुई है। लेकिन इसका जादू कुछ बहुत खास चीज़ों से आता है - तुम्हारे अच्छे कामों से! यह लालटेन तभी चमकती है जब कोई तीन सरल नियम मानता है: सत्यं वद (सच बोलो), धर्मं चर (सही काम करो), और स्वाध्यायान्मा प्रमदः (सीखना कभी मत छोड़ो)।"
बच्चों की आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गईं।
"क्या हम इसे और ज्यादा चमका सकते हैं?" मीरा ने उत्सुकता से पूछा।

वानी ने सिर हिलाया। "हाँ, लेकिन तुम्हें इसकी रोशनी कमानी होगी। चलो, सत्यं वद से शुरू करते हैं। मीरा, क्या तुम कोई ऐसी सच्चाई बता सकती हो, जिसे कहना मुश्किल हो?"
मीरा थोड़ा झिझकी, फिर बोली, "कल मैंने अपनी गलती के लिए अपने दोस्त पर झूठा इल्ज़ाम लगाया।मुझ े बहुत बुरा लग रहा है।"
लालटेन हल्की-सी टिमटिमाई और थोड़ा ज्यादा चमकने लगी।
वानी ने नरम आवाज़ में कहा, "सच्चाई बहुत ताकतवर होती है, भले ही उसे कहना मुश्किल हो। अब तुम क्या करोगी, मीरा?"
मीरा ने ढृढ़ता से कहा, "मैं अपने दोस्त से माफी माँगूगी और अपनी गलती सुधारूँगी।"
लालटेन और ज्यादा चमक उठी। वानी मुस्कुराई और बोली, "यही है धर्मं चर—सही काम करने का चुनाव।"
एक और लड़का, रोहन, आगे आया और बोला, "दादी, आखिरी वाला क्या है?
हम लालटेन को और कैसे चमका सकते हैं?"
वानी ने उसे एक किताब दी। "यहीं है स्वाध्यायान्मा प्रमदः।
कुछ नया सीखना, अपने दिमाग को स्वादिष्ट खाना खिलाने जैसा होता है—यह तुम्हें समझदार और ताकतवर बनाता है! इस किताब की कुछ पंक्तियाँ ज़ोर से पढ़ो।"
रोहन ने पढ़ना शुरू किया। वह शुरुआत में थोड़ा अटका, लेकिन धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ गया। जैसे-जैसे वह पढ़ता गया, जादुई लालटेन इतनी तेज़ चमकने लगी कि पूरे कमरे में रोशनी फैल गई।
बच्चों ने तालियाँ बजाईं और खुशी से झूम उठे।
"लालटेन अब कितनी चमकदार हो गई है!" मीरा ने उत्साह से कहा।

बच्चे हैरान थे!
मीरा ने कहा, "दादी, अब हमें समझ आ गया! अगर हम सच बोलें, सही काम करें और नया सीखते रहें, तो हम इस लालटेन को हमेशा जलता हुआ रख सकते हैं।"
दादी मुस्कुराईं और बोलीं, "यही तो राज़ है। याद रखना, बच्चों, इस लालटेन का जादू केवल इसकी रोशनी में नहीं, बल्कि तुममें है। यह लालटेन तुम्हारे दिल की तरह है। जब तुम इन तीन शिक्षाओं पर चलोगे, तो तुम्हारी अंदर की रोशनी हमेशा चमकती रहेगी, ठीक इस लालटेन की तरह।"
उस दिन से, गाँव के बच्चों ने वादा किया कि वे लालटेन रक्षक की इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएँगे।और सचमुच, उनका गाँव पहाड़ों में सबसे चमकदार और खुशहाल बन गया।
असली जादू हमारे भीतर है—जब हम सच्चे होते हैं, अपना कर्तव्य निभाते हैं, और सीखते रहते हैं, तब हम अपन ी ज़िंदगी को रोशन कर सकते हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर सकते हैं।
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श्लोक
सत्यं वद। धर्मं चर। स्वाध्यायान्मा प्रमदः
Satyam vada| Dharmam chara| Swadhyayan ma pramadah
स्रोत: तैत्तिरीय उपनिषद
अर्थ
सत्य बोलो। धर्म का पालन करो। स्वाध्याय (स्वयं अध्ययन) करो।
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Story type: Motivational
Age: 7+years; Class: 3+
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