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मीठे बोल, सच्चा दिल

यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई और करुड़ा के साथ मीठा बोलना ही सच्चा धर्म है।

Meethe Bol Sachcha Dil

कहानी


एक दिन एक छोटे गाँव में दो दोस्त, अभिनव और गौरी, बगीचे के पास खेल रहे थे। गौरी जो चित्र बना रही थी, अभिनव ने उसे देखा और हँस पड़ा।


“यह तो मज़ेदार है! तुमने सूरज को तीन आँखों वाला बना दिया! क्या तुम्हें नहीं पता कि सूरज की दो ही आँखें होती हैं?” उसने कहा।


गौरी की मुस्कान गायब हो गई। उसने चित्र बनाने में बहुत मेहनत की थी।


“तुम इतना बुरा क्यों कह रहे हो?” उसने उदास होकर पूछा।


तभी अभिनव की दादी आ गईं और पूछा, “क्या हुआ बच्चों?”


गौरी ने बताया, “अभिनव मेरे चित्र पर हँस रहा है।”


दादी मुस्कुराईं और बोलीं, “अभिनव, क्या तुम्हें पता है कि ज्ञानी लोग क्या सिखाते हैं? सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्। इसका मतलब है: सच बोलो, लेकिन हमेशा प्यार से बोलो।”


अभिनव ने सिर खुजलाया। “लेकिन दादी, क्या सच छिपाना गलत नहीं है?”


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दादी बोलीं, “हाँ, कभी सच मत छिपाओ, हमेशा ईमानदार रहो। लेकिन इसे इस तरह बोलो कि किसी का दिल दुखे नहीं। उदाहरण के लिए, हँसने के बजाय तुम कह सकते हो, ‘गौरी, तुम्हारा सूरज अलग है। शायद अगली बार तुम इसे दो आँखों के साथ बना सकती हो।’ इस तरह तुम ईमानदार और दयालु दोनों रहोगे।”


गौरी का चेहरा खिल उठा। “हाँ, इससे मुझे अच्छा लगेगा!”


अभिनव मुस्कुराया। “अब मैं समझ गया। मुझे कभी भी कठोर बातें नहीं बोलनी चाहिए, चाहे वे सच ही क्यों न हों। और मीठे झूठ भी नहीं बोलने चाहिए।”


दादी ने उनके सिर पर हाथ रखा। “बिलकुल सही! ईमानदारी के साथ प्यार से बोलना ही धर्म का रास्ता है।”


उस दिन से, अभिनव और गौरी ने एक-दूसरे से वादा किया कि वे हमेशा प्यार से बात करेंगे और हमेशा ईमानदार रहेंगे।

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सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् ।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः ॥
satyam bruyat priyam bruyat na bruyat satyam apriyam
priyam cha nanritam bruyat esha dharmah sanatanah

Source: Manusmriti (Manava Dharmashastra), Chapter 4, Verse 138.


अर्थ: सत्य बोलो, प्रिय (प्यार भरे) शब्द बोलो। यदि सत्य अप्रिय हो, तो उसे न बोलो। और यदि प्रिय वचन असत्य हों, तो उन्हें भी न बोलो। यही धर्म है।

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Story type: Motivational

Age: 7+years; Class: 3+

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