नन्हे कृष्णा ने पूतना को हराया
यह कहानी हमें सिखाती है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करती है।

कहानी
अनाया को कहानियाँ सुनाना बहुत पसंद था। वह अक्सर, स्कूल में, घर पर, या मोहल्ले के दोस्तों को कहानियाँ सुनाया करती थी। हर शुक्रवार बच्चे पार्क में इकट्ठा होते थे ताकि उसकी मजेदार कहानियाँ सुन सकें।
इस शुक्रवार, अनाया ने अपने दोस्तों को एक बड़े, घने पेड़ के नीचे बुलाया और उमंग भरी आवाज़ में बोली, "कहानी का समय!" वह अपनी सबसे पसंदीदा हीरो, नन्हे कृष्णा की कहानी सुनाने के लिए बहुत उत्साहित थी।
"क्या तुम जानते हो, एक बार, नन्हे कृष्णा ने एक भयानक राक्षसी को हराया था?" अनाया ने कहानी सुनानी शुरू की, उसकी आँखें चमक रही थीं।
उसके दोस्तों ने चिल्लाकर कहा, "आगे सुनाओ! आगे सुनाओ!"

"ठीक है, तो सुनो," अनाया ने कहा। "बहुत समय पहले, गोकुल नाम के गाँव में, नन्हे कृष्ण अपने माता-पिता यशोदा और नंद के साथ रहते थे। वह इतने छोटे और प्यारे थे कि पूरे गाँव के लोग उन्हें बहुत प्यार करते थे। लेकिन एक दुष्ट राजा था, जिसका नाम कंस था। कंस को डर था कि एक दिन कृष्ण उसे हरा देंगे।"
"फिर कंस ने क्या किया?" उसके दोस्त रोहन ने उत्सुकता से पूछा।
"कंस ने गोकुल में एक भयानक राक्षसी को भेजा, जिसका नाम पूतना था," अनाया ने आगे कहा। "वह बच्चों को परेशान करती थी। पूतना अपना रूप बदल सकती थी। उसने एक सुंदर महिला का रूप ले लिया और आसमान में उड़ते हुए गोकुल पहुँच गई। वह कृष्ण को नुकसान पहुँचाना चाहती थी। जब वह वहाँ पहुँची, तो सभी ने उसे एक दयालु और देवी जैसी महिला समझा।"
"ओह नहीं!" उसकी दोस्त मीरा ने घबराकर कहा।
"हाँ," अनाया ने सिर हिलाते हुए कहा। "पूतना ने छोटे कृष्ण को गोद में उठा लिया और उन्हें दूध पिलाने लगी।लेकिन उसके दूध में ज़हर मिला हुआ था! वह सोच रही थी कि यह दूध प ीकर कृष्ण जी हमेशा के लिए सो जाएँगे।"
"फिर क्या हुआ?" दीपु ने आँखें चौड़ी करते हुए पूछा।
अनाया ने गंभीर आवाज़ में कहा, "नन्हे कृष्णा को अच्छे से पता था कि पूतना कौन है और वह क्या करने आई है। कृष्ण जी ने उसे जोर से पकड़ लिया और दूध पीने लगे। दूध से भगवान कृष्ण को कोई नुकसान नहीं पहुँचा, पर उन्होंने अपनी शक्ति से, पूतना की सारी ताकत छीन ली। पूतना चीखने लगी और अपने असली, भयानक रूप में आ गई।
वह कृष्ण को डराने के लिए उड़ने लगी, लेकिन कृष्ण ने उसे और ज़ोर से पकड़ लिया। आखिरकार, अपनी सारी शक्ति खोने के बाद, पूतना ज़मीन पर गिर पड़ी और नन्हे कृष्ण ने उसे हरा दिया।"

"वाह! कान्हा ने उसे हरा दिया?" मीरा ने तली बजाते हुए कहा।
"हाँ," अनाया ने गर्व से कहा। "गोकुल के सभी लोग हैरान रह गए।उन्होंने श्री कृष्ण को उनकी रक्षा करने के लिए धन्यवाद दिया।"
"क्या तुम जानते हो, पूतना के इरादे बुरे थे, फिर भी कृष्ण जी ने उसे शांति दी क्योंकि उसने, एक तरह से, उनकी माँ की तरह उन्हें दूध पिलाया था।"
बच्चे सोचते हुए सिर हिलाने लगे। वे खुश और आश्चर्यचकित दोनो थे।
अनाया ने कहा, "तुम जा नते हो, इस कहानी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।"
दीपू ने कहा, "हाँ, अच्छाई हमेशा बुराई पर जीतती है, चाहे अच्छाई देखने में कमज़ोर लगे।"
ज्ञान ने कहा, "हमें हमेशा अच्छे काम करने चाहिए क्योंकि कृष्ण जी हमारे दिल की सच्चाई को देखते हैं।"
"मुझे यह कहानी बहुत पसंद आई," मीरा ने कहा। "नन्हे कृष्णा कितने बहादुर और दयालु थे।"
"हाँ, बिल्कुल," अनाया ने मुस्कुराते हुए कहा। "इसीलिए जब मैं डरती हूँ, तो मैं हमेशा कृष्ण जी से प्रार्थना करती हूँ । मुझे पता है कि वे हमेशा हमारी रक्षा करते हैं।"
दोस्तों को कृष्ण जी की बहादुरी और करुणा से बहुत प्रेरणा मिली। उन्होंने तय किया कि जब भी वे अपने डर का सामना करेंगे, तो इस कहानी को याद रखेंगे।
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श्लोक:
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
Paritranaya sadhunam vinashaya cha dushkritam
Dharma samstapanarthaya sambhavami yuge yuge
स्रोत: भगवद गीता - अध्याय 4, श्लोक 8
अर्थ:
अच्छे लोगों (साधूनां) की रक्षा करने, दुष्टों (दुष्कृत) का नाश करने और धर्म (सत्य और न्याय) की स्थापना के लिए, मैं हर युग में अवतार लेता हूँ।
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Story type: Spiritual
Age: 7+years; Class: 3+