जादुई मछली जिसने दुनिया बचाई
यह कहानी हमें सिखाती है कि सही ज्ञान और सही मार्गदर्शन से हम हर समस्या को पार कर सकते हैं।

कहानी बहुत समय पहले, संसार के लोग स्वार्थी हो गए थे और उन्होंने सच्चाई, दया और मिल-जुलकर, प्रेम से रहने की बातें भुला दी थीं। दुनिया में फिर से सच्चाई और संतुलन लाने के लिए, देवताओं ने तय किया कि एक बहुत बड़ा जलप्रलय (बाढ़) आएगा जो सारी बुराई को बहा ले जाएगा।
उसी समय, भगवान ब्रह्मा, जो सृष्टि के रचयिता हैं, वेदों की पवित्र ज्ञान से दुनिया को फिर से बनाने में जुटे थे। लेकिन जब वे थोड़ी देर के लिए विश्राम करने लगे, तो एक अजीब घटना घटी। भगवान ब्रह्मा की साँस से एक घोड़े के सिर वाला राक्षस—हयग्रीव जन्मा और वह वेद चुरा कर भाग गया!
वेदों के बिना दुनिया दोबारा नहीं बन सकती थी। तभी भगवान विष्णु ने एक छोटी सी मछली के रूप में अपना पहला अवतार लिया, जिसे मत्स्य अवतार कहा जाता है। भगवान विष्णु ने यह अवतार इसलिए लिए था ताकि वे वेदों को वापस ला सकें और एक बुद्धिमान और दयालु राजा, मनु, को आने वाले जलप्रलय से बचाकर, दुनिया को दुबारा बसा सकें।
एक सुबह, राजा मनु सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए नदी पर गए। जैसे ही उन्होंने जल लेने के लिए हाथ ब ढ़ाया, एक छोटी मछली उनकी हथेलियों में आ गई और बोली, “हे राजन, कृपया मुझे नदी में मत छोड़िए। बड़ी मछलियाँ मुझे खा जाएँगी!”

राजा मनु हैरान हुए, लेकिन उन्हें मछली पर दया आई। उन्होंने उसे घर ले जाकर एक छोटे बर्तन में रखा। पर मछली का आकार लगातार बढ़ने लगा, जिस कारण उसे पहले एक घड़े में, फिर टंकी में, और फिर तालाब में रखना पड़ा।
जब मछली और भी बड़ी हो गई, तो मनु ने उसे नदी में छोड़ दिया। तब मछली ने अपना असली रूप दिखाया—"मैं भगवान विष्णु हूँ। एक बड़ा जलप्रलय आने वाला है। एक नाव बनाओ और उसमें कुछ पौधों के बीज, कुछ जानवर, सात ऋषियों और नई दुनिया बनाने के लिए ज़रूरी चीजें रखो।”
जब जलप्रलय आया, राजा मनु नाव में चढ़े और सारी ज़रूरी चीजें साथ ले लीं। तभी भगवान मत्स्य, एक विशाल सुनहरी मछली के रूप में प्रकट हुए। नाव को उनके सींग से बाँध दिया गया, और वे उसे लहरों से सुरक्षित पार ले गए।
भगवान मत्स्य ने राक्षस हयग्रीव को हराया और वेदों को वापस भगवान ब्रह्मा को लौटा दिया। उन्होंने राजा मनु को सच्चाई, दया और दुनिया की देखभाल करने का— ज्ञान दिया।

जब सभी नाव पर सुरक्षित, हिमवान पर्वत पर पहुँचे, तो भगवान मत्स्य ने मनु को एक नई दुनिया बसाने के लिए जरूरी बातें सि खाईं और अपने ज्ञान का प्रकाश देकर वहाँ से अदृश्य हो गए।
भगवान विष्णु और राजा मनु की मदद से पृथ्वी पर जीवन फिर से शुरू हो सका।
कहानी का गहरा सच
मछली ज्ञान की तरह है—जो हर दिन बढ़ना चाहिए।
जलप्रलय उन बातों की तरह है जो हमें भटकाती हैं—जैसे लालच और आलस।
नाव हमारे मन की तरह है। जब उसमें सही ज्ञान होता है, तो वह हमें मुश्किलों से पार ले जा सकती है।
ज्ञान की मदद से हम भ्रम और दुख से ऊपर उठकर अपनी सबसे ऊँची, शांत और बुद्धिमान अवस्था तक पहुँच सकते हैं—जैसे एक पहाड़ की चोटी पर पहुँचना।
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Shloka
रूपं स जगृहे मात्स्यं चाक्षुषोदधिसम्प्लवे ।
नाव्यारोप्य महीमय्यामपाद्वैवस्वतं मनुम् ॥
स्रोत: श्रीमद्भागवतम्
अर्थ
भगवान विष्णु ने राजा मनु के समय आए महा प्रलय में मछली का रूप धारण किया।
उन्होंने मनु और सभी जीवों को एक नाव में सुरक्षित स्थान पर बैठाया और उन्हें प्रलय से बचाया।
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Story type: Spiritual
Age: 7+years; Class: 3+
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