अरुंधति
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे ज्ञान और अच्छे आचरण से ही जीवन में सफलता और सम्मान मिलता है।
Story
अरुंधति शब्द का मतलब है सूरज के प्रकाश से धुला हुआ। मतलब वह जो सूरज की तरह ही साफ़ और स्वच्छ है।
अरुंधति अपने पिछले जन्म में ब्रह्मा की पुत्री थी और उनका नाम संध्या था। संध्या ने भगवान शिव की कड़ी तपस्या की और उनसे वरदान माँगा की उन्हे संसार की किसी भी चीज़ की चाह ना रहे।
शिवजी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनका जन्म ऋषि कर्दम और उनकी पत्नी देवहुति की बेटी अरुंधति के रूप में हुआ।
अरुंधति का विवाह ऋषि वशिष्ठ से हुआ। ऋषि वशिष्ट, श्रीराम के गुरु थे और सप्तऋषियों में से एक थे। वह बहुत ही पवित्र और भक्ति करने वाली स्त्री थीं और अपने परिवार और समाज के प्रति समर्पित थीं।
अरुंधति को अपने ऊँचे ज्ञान और अच्छे व्यवहार के कारण सप्तऋषियों के बराबर माना जाता था।
ऐसा माना जाता है कि अग्निदेव की पत्नी में एक खास शक्ति थी कि वह सप्तऋषियों में से छः ऋषियों की पत्नियों का रूप ले सकती थी, पर अरुंधति का रूप नहीं ले सकती थी। इससे पता चलता है कि अरुंधति मन से कितनी पवित्र और बलवान थीं। इसलिए उन्हें बहुत सम्मान दिया जाता है।
अरुंधति और वशिष्ठ को आकाशगंगा में एक साथ एक तारा समूह के रूप में देखा जा सकता है, जिसे "वशिष्ठ-अरुंधति" कहा जाता है।
अरुंधति के नाम पर अरुंधति दर्शन न्याय का नाम पड़ा, जो एक तरीका है किसी आसानी से समझी जाने वाली बात की मदद से किसी मुश्किल या गहरी बात को समझने का।
अरुंधति के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चे ज्ञान और अच्छे आचरण से ही जीव न में सफलता और सम्मान मिलता है।
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Story type: Motivational
Age: 7+years; Class: 3+