आयुवैयर
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन का लक्ष्य है सच्चा ज्ञान पाना और उसे दुसरों तक पहुँचाना ।
Story
आयुवैयर को भारत के इतिहास में हुई बुद्धिमान महिलाओं में से एक माना जाता है। आयुवैयर प्राचीन समय की एक प्रसिद्ध कवयित्री थीं। उनकी कविताएँ अलग-अलग साम्राज्यों के बीच शांति बनाए रखने में मदद करती थीं। उन्होंने बच्चों के लिए प्रसिद्ध कविताएँ लिखी जैसे आठिचुड़ी, कोंड्राई वेंडन, नलवज़हि मूदुराई।
उन्होंने भगवान गणेश की भक्ति में विनायागर अगवल जैसे भजन भी लिखे। यह भजन आज भी पूरे तमिलनाडु में गाया जाता है, खासकर गणेश चतुर्थी पर।
छोटी उम्र से ही आयुवैयर की धर्म और साहित्य में रुचि थी। वो बड़ी होकर बहुत ही विद्वान महिला बनी।
उन्होंने भगवान गणेश की भक्ति की और उनसे प्रार्थना की कि वह उनके शरीर को बूढ़ा कर दें क्योंकि वह शादी नहीं करना चाहती थीं। वह छोटी उम्र में ही यह समझ गई थीं कि एक विकसित शरीर और मन के साथ ही ज्ञान को बेहतर तरीके से दूसरों तक पहुँचाया जा सकता है।
उनकी प्रार्थना भगवान गणेश ने मान ली। धीरे-धीरे उनके बाल सफ़ेद हो गए, त्वचा पर झुर्रियाँ आ गईं और वह बूढ़ी हो गईं।
उन्होंने अपना पूरा ध्यान अपने ज्ञान को बढ़ाने और भगवान की भक्ति में लगा दिया। उनके अनुसार जो हमने सीखा है वो मुट्ठी-भर रेत के समान है और जो हमें सीखना है वो पृथ्वी जितना विशाल है।
तमिल साहित्य में आयुवैयर का बहुत बड़ा योगदान है। तमिल विद्वान आज भी उनकी कविताओं पर चर्चा करते हैं और अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं। उनके सम्मान में चेन्नई के मरीना बीचफ़्रंट में उनकी एक मूर्ती भी लगाई गई है।
उनकी कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपने ज्ञान को दूसरों के भले के लिए उपयोग करना चाहिए और अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।
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Story type: Motivational
Age: 7+years; Class: 3+