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गीत की नाँव क्यों डूबी?

यह कहानी हमें सिखाती है कि सभी भगवान एक हैं।

गीत की नाँव क्यों डूबी

Story


वानी और उसके दोस्त छुट्टियों में अपने-अपने माता पिता के साथ कन्याकुमारी घूमने गए थे। एक दोपहर, वानी और उसके दोस्त बीच (beach) पर खेल रहे थे। वहाँ उन्होंने गीली रेत से एक छोटा और सुंदर-सा मंदिर बनाया। उस मंदिर को उन्होंने सीपियों से सजाया। मंदिर बहुत अच्छा लग रहा था।

तभी वानी ने कहा, “इस मंदिर में कुछ कमी है।”


“क्या कमी है? इतना अच्छा तो है,” सोहन ने कहा।


“मंदिर में भगवान भी तो होने चाहिए,” वानी बोली।


“तुमने ठीक कहा वानी, चलो हम दुर्गा माता की मूर्ति बनाकर इसमें रखते हैं। वो सबसे शक्तिशाली हैं, उन्होंने महिषासुर जैसे भयानक राक्षश को मारा था,” भूमि ने कहा।


“नहीं-नहीं, हनुमानजी सबसे ताकतवर हैं, वो तो बचपन में सूरज को ही निगल गए थे। हम उन्हीं की मूर्ति बनाएंगे,” यश ने ज़ोर देकर कहा।


“पर कृष्णजी ने तो अपनी छोटी उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत ही उठा लिया था। वो ही सबसे ताकतवर हैं,” सुलभ बोला।


सबकी बातें सुनकर वानी ने कहा, “तुम सब शायद शिवजी के बारे में भूल गए, जिन्होंने इस संसार को बचाने के लिए विष पिया था।“

बच्चे तय नहीं कर पा रहे थे कि कौन से भगवान सबसे ज़्यादा ताकतवर हैं। तभी उन्होंने एक लड़के को समुद्र की लहरों पर सर्फिंग करते हुए देखा।


“अरे, यह तो नचिकेता है!” सभी बच्चे एक साथ बोले।


नचिकेता बच्चों के पास आया और बोला, “कैसे हो दोस्तों, अब कौन-सा सवाल है तुम्हारे मन में।


बच्चों ने पूरी बात नचिकेता को बताई।


“तुम सब आराम से बैठ जाओ, मैं तुम सबको एक मज़ेदार कहानी सुनाता हूँ इससे तुम्हें अपने सवाल का जवाब ज़रूर मिलेगा।“


एक बार गीत नाम का एक आदमी नाँव पर नदी पार कर रहा था। अचानक उसकी नाँव डूबने लगी। गीत ने मदद के लिए भगवान को पुकारा। सबसे पहले उसने कृष्णजी को बुलाया। फिर उसने तुरंत रामजी को पुकारा, फिर उसे हनुमानजी की याद आ गई और आखिर में दुर्गा माता की। नाँव डूब गई और साथ में गीत भी।


स्वर्ग पहुँचकर गीत ने भगवान से पूछा, “मुझे क्यों नहीं बचाया गया? मैंने तो मदद के लिए कई भगवानों को पुकारा था।”


भगवान बोले, “तुम बार-बार मुझे अलग-अलग नामों से पुकार रहे थे तो मुझे हर बार अपना रूप बदलना पड़ रहा था। पहले पीले वस्त्र में बांसुरी लिए कृष्ण, फिर धनुष-तीर धारी राम, फिर वानर रूपी हनुमान। और जैसे ही मैं तुम तक पहुँचने वाला था तुमने दुर्गा माता का नाम ले लिया। इतने रूप बदलने में मुझे देर हो गई और तुम्हारी नाँव डूब गई।”


“इसका मतलब, भगवान एक हैं पर उनके रूप अलग-अलग हैं,” सभी बच्चे बोले।


बच्चों ने भगवान की एक बड़ी ही खास मूर्ति बनाई जिसके कई हाथ थे, एक हाथ में गदा, दूसरे हाथ में त्रिशूल, तीसरे हाथ में बाँसुरी और चौथे हाथ में कमल था। उस मूर्ति के लंबे बाल थे, सिर पर मोरपंख, और गले में साँप था। भगवान की इस विशेष मूर्ति को बच्चों ने अपने बनाए हुए मंदिर में रखा और बहुत खुश हुए।

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Story type: Adventure, Motivational

Age: 6+years; Class: 2+

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