Free Shipping On Shopping Above ₹600 | Pan India Delivery Guaranteed In 5-6 Days
भगवान कैसे दिखते हैं?
यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान का कोई एक रूप नहीं होता, वह हमा रे लिए अलग-अलग रूप लेते हैं।

Story
तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला चिंटू एक बार अपने मम्मी-पापा के साथ हरिद्वार गया। वहाँ उसने कई मंदिरों में भगवान के दर्शन किए। दर्शन करने के बाद वे सभी लोग गंगा नदी में नाँव की सवारी का मज़ा ले रहे थे। तभी चिंटू के मन में एक सवाल आया और उसने अपनी मम्मी से पूछा, “मम्मी, भगवान असली में कैसे दिखते होंगे?”
मम्मी मुस्कुराई और बोली, “तुम ही बताओ कि भगवान कैसे दिखते होंगे?”
चिंटू थोड़ा सोच कर बोला, “शायद वो कृष्णा की तरह छोटे और प्यारे होंगे।”
मम्मी ने कहा कि वो बजरंगबली की तरह बड़े और ताकतवर भी हो सकते हैं।
“मुझे पता है, भगवान बहुत सुंदर और गोरे होंगे।” चिंटू बोला।
माँ ने चिंटू से कहा कि सिर्फ गोरा रंग ही सुंदर नहीं होता, साँवला रंग भी उतना ही खूबसूरत होता है। तुम्हारे कृष्णा भी तो साँवले हैं।
“इसका मतलब भगवान के कई रूप होते हैं।” चिंटू बोला।
“या हो सकता है उनका भी कोई भी रूप-रंग ना हो और जो उन्हें जैसे देखना चाहे वैसे देख सकता है।” माँ बोली।
चिंटू माँ की बात समझ नहीं पाया, तो माँ ने उसे समझाते हुए कहा। “गंगाजी के पानी को देखो, इसका कोई रूप नहीं है।”
माँ ने पानी अपनी हथेली में लिया और कहा, “देखो चिंटू, पानी ने मेरी हथेली का आकार ले लिया है। इस पानी को अगर हम बोतल या गिलास में भरेंगे तो यह उसका आकार ले लेगा। और अगर हम इस पानी में लाल, पीला, नीला या हरा रंग मिला दें, तो यह वही रंग ले लेगा।”
“मैं समझ गया, भगवान का कोई रूप-रंग नहीं होता और जो उन्हें जिस रूप में देखना चाहे वो वैसा ही रूप ले लेते हैं।” चिंटू खुश होकर बोला।
For more such stories buy myNachiketa Books
Shloka
स्त्रोत: रामचरितमानस
रामचरित मानस में तुलसीदास हमें यही बात समझाते हैं।
सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा॥
अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई॥
भगवान के साकार और निराकार रूप में कोई अंतर नहीं है। भक्त के प्रेम के कारण निराकार भगवान साकार रूप लेते हैं।
हम भगवान को अपनी इच्छा अनुसार किसी भी रूप में पूज सकते हैं, उनके सभी रूप एक ही हैं उनमें कोई अंतर नहीं है।
Download the Activity Related to Story
Story Video
Watch this Video to know more about the topic
Story type: Motivational, Activity-Based
Age: 7+years; Class: 3+



















