आरव की भगवान से पहचान
यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान की शरण में हम हमेशा सुरक्षित महसूस करते हैं।

कहानी
एक छोटा लड़का था, आरव, जो हर चीज़ के बारे में जिज्ञासु था, जैसे कि शाम को पक्षी कहाँ जाते हैं, नदी का पानी कहाँ मिलाता है, जुगनू कैसे चमकता है, और भी बहुत कुछ।
एक दिन, वह एक बड़े, छायादार पेड़ के नीचे बैठा था और पत्तों से खेलते हुए, पक्षियों को देख रहा था। जैसे-जैसे दिन बीतता गया, उसने कुछ दिलचस्प देखा। जो पक्षी दिनभर भोजन की तलाश में दूर-दूर की उड़न भरते हैं, वे सभी अब शाम को एक-एक करके पेड़ की मज़बूत शाखाओं पर वापस आ रहे थे।
आरव को यह जानने की जिज्ञासा हुई कि वे सभी एक ही जगह क्यों लौटते हैं।
इस सवाल के साथ वह घर वापस गया। शाम हो चुकी थी।
उसने अपने पिता से पूछा, "पापा, पक्षी शाम को पेड़ पर क्यों लौटते हैं?"

उसके पिता ने कहा, "बेटा, वह उनका घर है।जैसे तुम स्कूल से घर लौटते हो और मैं भी ऑफिस से शाम को घर आता हूँ, वैसे ही पक्षी अपने घर वापस जाते हैं।"
आरव ने सिर हिलाया, लेकिन वह इस जवाब से पूरी तरह संतुष्ट नहीं था।
अगले दिन, वह फिर से उसी पेड़ के नीचे बैठा और उसकी छाँव में आराम कर रहा था। पास ही खड़े एक बुद्धिमान बूढ़े आदमी ने आरव की जिज्ञासा देखी और पेड़ के नीचे उसके पास आकर बैठ गए। इस बुद्धिमान व्यक्ति को सभी गुरूजी कहते थे।
गुरुजी ने कहा, "मैंने देखा था कि तुम कल भी यहाँ आए थे। आखिर, तुम क्या देख रहे हो?"
आरव ने अपनी बात बताई और पूछा कि पक्षी हमेशा इसी पेड़ प र क्यों लौटते हैं।
गुरुजी मुस्कुराए और समझाया कि यह पेड़ पक्षियों को आश्रय, सुरक्षा और आराम करने की जगह देता है।चाहे वे दिनभर कहीं भी उड़ें, उन्हें हमेशा पता होता है कि वे इस पेड़ पर वापस आ सकते हैं।
आरव ने पूछा, "तो इसका मतलब है कि सभी पक्षी एक ही पेड़ से सुरक्षा और आसरा पाते हैं।"
गुरुजी ने हाँ में सिर हिलाया। "लेकिन यह कैसे संभव है?" आरव ने पूछा।
गुरुजी ने धीरे से जवाब दिया, "यह संभव है क्योंकि यह एक मज़बूत पेड़ है, और उसकी बड़ी-बड़ी शाखाओं पर सभी पक्षी आराम से बैठ सकते हैं।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितनी दूर उड़ते हैं या वे कितने अलग हैं; पेड़ हमेशा सबको एक जैसा आश्रय देता है।पेड़ यह नहीं चुनता कि कौन से पक्षी को सुरक्षा दे—यह सभी को सुरक्षा देता है।"
आरव समझने लगा था। लेकिन फिर, उसके मन में एक और सवाल आया।
"हमारे बारे में क्या? हम अपने घरों में आराम और सुरक्षा पाते हैं, और हम सभी अलग-अलग घरों में रहते हैं।"
गुरुजी ने कहा, "बहुत अच्छा सवाल है, बेटा, इसका जवाब देता हूँ।"

“जिन घरों में हम रहते हैं, उसके अलावा एक और खास घर है जिसमें हम सब आसरा लेते हैं, वह है भगवान का घर।”
आरव ने जिज्ञासु होकर पूछा, "भगवान का घर कहाँ है?"
गुरुजी ने आगे समझाया, "पक्षियों की तरह हम भी अपना पूरा दिन बहुत सारी चीजें करते हुए बिताते हैं—पढ़ना, लिखना, काम करना, खेलना, गाना या नृत्य करना—लेकिन दिन के अंत में, जब हम शां त होकर बैठते हैं और भगवान को अपने अंदर महसूस करते हैं, तब हमें सच्चा सुकून और शांति मिलती है, जैसे सभी पक्षी पेड़ पर विश्राम और सुरक्षा पाते हैं।
"भगवान हमेशा सभी के लिए हैं, चाहे वह कोई भी हो या कहीं से भी हो। जैसे पक्षी पेड़ पर विश्वास करते हैं, हम भी भगवान पर विश्वास कर सकते हैं, जो हमारी देखभाल करते हैं और हमें प्रेम और शांति देते हैं। भले ही हम अलग-अलग घरों में रहते हैं, भगवान का घर वह जगह है जहाँ हम सभी आराम और सुरक्षा पाते हैं।"
आरव ने गुरुजी की बात ध्यान से सुनी और वह पेड़ और पक्षियों को अलग नज़र से देखने लगा।वे सिर्फ पेड़ पर लौटते हुए पक्षी नहीं थे; वे एक बड़ी और सुंदर सच्चाई दिखा रहे थे।
गुरुजी ने उन्हें सिखाया था कि हम सभी का एक विशेष स्थान है - वह स्थान, जहाँ हम ईश्वर के साथ प्रेम और शांति महसूस करते हैं।
आरव यह जानकर खुश हुआ कि उसके पास अपने घर के अलावा भी एक सुरक्षित और प्यारा स्थान है।
हम हमेशा भगवान में प्रेम, शांति और आराम पा सकते हैं, जो सभी के लिए सबसे अच्छे मार्गदर्शक और सबसे सुरक्षित घर की तरह हैं।
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श्लोक
स यथा सोभ्य वयांसि वसोवृक्षं सम्प्रतिष्ठन्ते।
एवं ह वै तत् सर्वं पर आत्मनि सम्प्रतिष्ठते॥
Sa yatha sobhya vayamsi vasovriksham sampratishthante
Evam ha vai tat sarvam para atmani sampratishthate.
स्रोत: प्रश्न उपनिषद्
अर्थ
जैसे पक्षी उड़कर पेड़ पर विश्राम करने के लिए आते हैं, वैसे ही सब कुछ अंततः भगवान में ही समाहित होता है।
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Story type: Spiritual
Age: 7+years; Class: 3+
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