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नन्ही किरण की कहानी

यह कहानी सिखाती है कि हम सब अनंत और शक्तिशाली सत्य, भगवान से जुड़े हुए हैं।

नन्ही किरण की कहानी

कहानी


एक छोटा-सा स्कूल था, जिसके चारों तरफ़ हरियाली थी। स्कूल का यह दिन आम दिनों जैसा ही था, लेकिन बच्चे बहुत खुश और उत्साहित थे। आज उनकी पसंदीदा कक्षा थी : वैदिक शिक्षा। उनकी टीचर, मीरा मैम, बड़े और गहरे विचारों को मज़ेदार कहानियों और गतिविधियों के ज़रिए समझाती थीं।


मीरा मैम ने बोर्ड पर लिखा: "अहम् ब्रह्मास्मि – मैं ब्रह्म हूँ।"


बच्चों ने इन शब्दों को पढ़ा और हैरानी से देखने लगे। अर्जुन ने जल्दी से हाथ उठाया, “मैम, इसका क्या मतलब है? मैं ब्रह्म कैसे हो सकता हूँ? मैं तो अर्जुन हूँ।”


सभी बच्चे चिल्लाने लगे, “मैम, मैं नित्या हूँ।” “मैं तारा हूँ।” “मैं वैभव हूँ।”


मीरा मैम ने सभी को शांत किया और मुस्कुराते हुए बोलीं, “बहुत अच्छा सवाल है, अर्जुन। चलो, इसे एक कहानी के ज़रिए समझते हैं।”


नन्ही किरण की कहानी




विशाल आसमान में, एक छोटी-सी सूरज की किरण थी, जिसका नाम था किरण


किरण को धरती पर आना बहुत पसंद था। लेकिन एक दिन, किरण ने सोचा, "मैं कौन हूँ?"


किरण नीचे आई और एक शांत झील पर गिर पड़ी। उसने झील में अपना प्रतिबिंब देखा और सोचा,

"मैं तो बस एक छोटी सी रोशनी की किरण हूँ। मैं कितनी छोटी हूँ। सूरज कितना कितना बड़ा है। काश, मैं भी सूरज जितनी बड़ी और ताकतवर होती!"


किरण उदास होकर बैठी थी, तभी झील से पानी की एक बूँद ऊपर आई और बोली, "किरण, क्या तुम जानती हो कि तुम कहाँ से आई हो?"


किरण ने पलकें झपकाईं और बोली, "मैं सूरज से आई हूँ!"



पानी की बूँद मुस्कुराई और बोली, “बिल्कुल सही। और क्या तुम एक अद्भुत बात जानती हो? तुम सिर्फ सूरज से नहीं आई हो, तुम खुद सूरज हो।”


किरण हैरान हो गई। “मैं सूरज कैसे हो सकती हूँ? मैं तो बस एक छोटी-सी रोशनी की किरण हूँ।”


पानी की बूँद ने समझाया, “हर रोशनी की किरण सूरज का हिस्सा है।तुम्हारे जैसी किरणों के बिना सूरज की रोशनी नहीं हो सकती। तुम भले ही छोटी लगो, लेकिन तुम्हारे अंदर भी सूरज जैसी ही ऊर्जा, गर्मी और रोशनी है। तुम सूरज से ज़रा-भी अलग नहीं हो।”


किरण कुछ पल रुकी, फिर तेज़ चमकने लगी। “तो, मैं जहाँ भी जाऊँ, मैं हमेशा सूरज ही रहूँगी?”


“हाँ,” बूँद ने कहा। “तुम सूरज हो, हर जगह चमकती हो, भले ही तुम्हें इसका अहसास न हो।”


किरण खुशी से झील पर नाचने लगी, अब वह अपनी असली पहचान जान चुकी थी।


मीरा मैम ने बच्चों की तरफ देखा और पूछा, “तो, नन्ही किरण ने क्या सीखा?”


रिया ने सोचकर कहा, “कि वह सूरज से अलग नहीं है।”


“और इससे हमें अपने बारे में क्या सिखने को मिलता है?” मीरा मैम ने पूछा।


अर्जुन ने उत्साह से हाथ उठाया और कहा, “कि हम भी ब्रह्म से अलग नहीं हैं!”


मीरा मैम ने सिर हिलाते हुए कहा, “बिल्कुल सही।”


“लेकिन मैम, ब्रह्म क्या है?” नित्या ने पूछा।


मीरा मैम मुस्कुराईं और बोलीं, “बच्चों, ब्रह्म शुद्ध ज्ञान और चेतना की स्थिति है। यह पूर्ण सुख की अवस्था है जब हम अपने असली स्वरूप को जान जाते हैं, तो हम हर परिस्थिति में खुश रह सकते हैं। ब्रह्म, भगवान है, परम सत्य और वास्तविकता। भले ही हम खुद को छोटा महसूस करें, पर हम एक अनंत और शक्तिशाली सत्य का हिस्सा हैं।


“जब हम कहते हैं ‘अहम् ब्रह्मास्मि,’ तो हम खुद को याद दिलाते हैं कि हम केवल अलग-अलग व्यक्ति नहीं हैं—हम उस एक महान सत्य का हिस्सा हैं, जो हर चीज़ में मौजूद है।”


बच्चे मुस्कुराए, उनके दिलों में भी नन्ही किरण की तरह खुशी और रोशनी भर गई।


उन्होंने फिर से सूरज की रोशनी की तरफ देखा और महसूस किया कि वे भी सूरज की तरह चमकदार हैं।

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श्लोक


अहम् ब्रह्मास्मि
Aham Brahmasmi

स्रोत: बृहदारण्यक उपनिषद


अर्थ
मैं ब्रह्म हूँ, परम सत्य।

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Story type: Spiritual

Age: 7+years; Class: 3+

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