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तारा का बगीचा

यह कहानी सिखाती है कि सकारात्मकता, प्रेम और अच्छाई पर विश्वास, हमारी ज़िंदगी को खुशहाल और सुंदर बना सकते हैं।

तारा का बगीचा

कहानी


एक चमकती सुबह, तारा और उसके दादाजी बगीचे में बैठे थे। उनके खूबसूरत बगीचे में हर रंग के फूल खिले हुए थे, लेकिन तारा अपने फूलों की क्यारी को देख कर उदास लग रही थी।


“दादाजी,” तारा ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “मेरे फूल हमेशा झुके रहते हैं और मुड़े हुए लगते हैं। मैं उन्हें पानी देती हूँ, लेकिन वे कभी आपके फूलों की तरह बड़े और सुंदर क्यों नहीं होते?”


दादाजी प्यार से मुस्कुराए और तारा की क्यारी की तरफ आगे बढ़े।


उन्होंने उसके फूलों की तरफ इशारा किया और पूछा, “क्या तुम इनसे बात करती हो, तारा?”




तारा ने नाक सिकोड़ते हुए कहा, “मैं फूलों से बात करूँ? ये तो बस पौधे हैं, दादाजी। ये मेरी बात कैसे समझेंगे?”


दादाजी मुस्कुराए और बोले, “प्यारी तारा, ये तुम्हारी सारी बात समझते हैं, पर अपने तरीके से।


ये तुम्हारी बात सुनते भी हैं और जवाब भी देते हैं। एक बात बताऊँ? ‘यत भावो तत भवति।’ इसका मतलब है, ‘जैसा तुम महसूस करते हो या विश्वास करते हो, वैसा ही होता है।’


“जैसे हमारे विचार और भावनाएँ होती हैं हमारे आसपास का वातावरण, वैसा ही बन जाता है।"

तारा ने अपना सिर एक तरफ झुकाया और बोली, “लेकिन इसका मेरे फूलों से क्या लेना-देना है?”


दादाजी उसके पास बैठे और बोले, “अगर तुम अपने फूलों के लिए प्यार, खुशी और देखभाल का भाव रखोगी, तो वे भी इसे महसूस करेंगे। और तब वे सुंदर खिलेंगे। लेकिन अगर तुम उदास या निराश हो, तो शायद वे भी खुश न हों।


क्यों न हम एक प्रयोग करके देखें?”


तारा की आँखें चमक उठीं। उसे प्रयोग करना बहुत पसंद था! “हम क्या करेंगे?” उसने उत्साहित होकर पूछा।


दादाजी ने कहा, “हर सुबह, जब तुम अपने फूलों को पानी दो, तो उनसे कुछ अच्छा कहो। जैसे, ‘तुम बहुत सुंदर हो!’ या ‘बड़े और मज़बूत बनो!’ मुस्कुराओ और सोचो कि वे खिल रहे हैं। ऐसा एक सप्ताह तक करो।”


तारा ने उत्साह से सिर हिलाया और अगले ही दिन से दादाजी की बताई हुई बातें करनी शुरू कर दीं।


वह अपने फूलों को देखकर मुस्कुराई और उन्हें प्यार से 'गुड मॉर्निंग', बोला! तारा ने अपने फूलों से कहा कि तुम दुनिया के सबसे सुंदर फूल हो!” उसने ध्यान से उन्हें पानी दिया और उनके लिए एक खुशी भरा गाना भी गाया।


जैसे-जैसे दिन बीतते गए, तारा ने कुछ जादुई देखा। उसके फूल सीधे खड़े थे और उनकी पंखुड़ियाँ पहले से भी ज़्यादा चमकदार थीं। एक सप्ताह पूरा होते-होते तारा की फूलों की क्यारी दादाजी की क्यारी जितनी सुंदर लगने लगी!




“दादाजी!” तारा खुशी से चिल्लाई और दौड़ते हुए उनके पास आई। “यह काम कर गया! मेरे फूल खिल गए!”


दादाजी मुस्कुराए। “यह इसलिए हुआ क्योंकि तुमने उन्हें अपना प्यार और खुशी दी। याद रखना, तारा, ‘यत भावो तत भवति।’ जब तुम अच्छा सोचती हो और महसूस करती हो, तो अच्छी चीजें होती हैं।”


तुम्हारे विचार और भावनाएँ तुम्हारी दुनिया को आकार देती हैं। दया, प्रेम और सकारात्मकता से भरे रहो, और तुम्हारे आस-पास सुंदरता बढ़ेगी—ठीक वैसे ही जैसे तारा के फूल!

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श्लोक


यत् भावो तत् भवति
Yat bhavo tat bhavati


स्रोत: वेदांत दर्शन, एक संस्कृत सूक्ति


अर्थ

जैसा तुम महसूस करते हो या विश्वास करते हो, वैसा ही होता है।

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Story type: Spiritual

Age: 7+years; Class: 3+

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