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नचिकेता की कहानी

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें सवाल पूछने से कभी डरना नहीं चाहिए क्योंकि सवाल ही हमें जवाब तक पहुँचाते हैं।

नचिकेता की कहानी

Story


एक प्राचीन हिन्दू ग्रन्थ कठोपनिषद् में नचिकेता नामक बालक की कहानी है। नचिकेता पाँच साल का एक बड़ा ही बुद्धिमान और जिज्ञासु बालक था। एक बार नचिकेता के पिता ऋषि वाजश्रवा एक यज्ञ कर रहे थे। इस यज्ञ में उन्हें अपनी सबसे अच्छी और प्रिय चीज़े, ब्राह्मणों को दान में देनी थी। पर वह दान में बूढ़ी गायें दे रहे थे, जो बहुत कमज़ोर थीं और दूध भी नहीं देती थी। ये गायें, ब्राह्मणों के किसी काम की नहीं थीं।


नचिकेता यह देखकर परेशान हो गया और जाकर पिताजी से बोला, “पिताजी, यज्ञ में तो अपनी सबसे प्रिय चीज़ दान करते हैं और आपको सबसे प्रिय तो मैं हूँ तो आप मुझे किसे दान में देंगें?”


पहले तो वाजश्रवा ने नचिकेता के सवाल का कोई उत्तर नहीं दिया। पर नचिकेता के बार-बार एक ही सवाल पूछने पर पिताजी बोले, “तुम्हारे मन में हमेशा सवाल उठते रहते हैं, इसलिए मैं तुम्हें एक ऐसे शिक्षक को दान करता हूँ जो तुम्हें तुम्हारे सारे सवालों के जवाब दे देंगे। जाओ, मैं तुम्हें यम को दान करता हूँ। (नचिकेता के बार-बार एक ही सवाल पूछे जाने पर ऋषि वाजश्रवा ने क्रोध में आकर नचिकेता को यमराज को दान दे दिया था जो मृत्यु के देवता हैं, बच्चों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए हमने यमराज को एक शिक्षक के रूप में दिखाया है।)


पिताजी की बात मानकर नचिकेता यम से मिलने उनके घर गया। वहाँ द्वारपालों ने नचिकेता को बताया कि यम अभी घर पर नहीं हैं और तीन दिन बाद लौटेंगे। द्वारपालों ने नचिकेता से अपने घर लौट जाने को कहा। पर नचिकेता अपने इरादे का पक्का था और यम से मिले बिना वापस लौटने वाला नहीं था। उसने बिना कुछ खाए-पिए, तीन दिन तक वहीं दरवाज़े पर यम का इंतज़ार किया।


तीन दिन बाद जब यम लौटे, तो एक छोटे से बालक को अपने घर के दरवाज़े के बाहर देख हैरान हो गए। यम ने नचिकेता को तीन दिन तक इंतज़ार करने के बदले तीन वरदान दिए और कहा जो चाहे मांग लो। नचिकेता ने यमराज से अपने तीनों वरदान मांगे:


पहला वरदान: “जब मैं अपने घर जाऊँ तो मेरे पिता मुझे प्यार से गले लगा लें।” (नचिकेता ने यमराज से पहला वरदान माँगा था कि उसके पिताजी का क्रोध शांत हो जाए। बच्चों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हमने यहाँ कुछ बदलाव किए हैं।)


दूसरा वरदान: “एक ऐसा तरीका या विधि बताएँ जिससे हमारे दुख खत्म हों और हमें सुख मिले।” यम ने नचिकेता को एक यज्ञ विधि बताई जिसका नाम उन्होंने नचिकेता यज्ञ विधि रखा। (नचिकेता ने यमराज से वह विधि बताने को कहा जिससे हम मुक्त हो सकें और स्वर्ग पा सकें। बच्चों को यह बात सरल रूप से समझाने के लिए हमने यहाँ कुछ बदलाव किए हैं।)


तीसरा वरदान: “जीवन का रहस्य क्या है?” (नचिकेता ने तीसरे वरदान के रूप में, यमराज से मृत्यु का रहस्य जानने की इच्छा की थी। यह विषय बच्चों के लिए संवेदनशील है इसलिए हमने यहाँ कुछ बदलाव किए हैं।)


यम ने कहा, “नचिकेता तुम मुझसे धन-दौलत, हाथी-घोड़े मांग लो, पर इस सवाल का जवाब मत मांगो।”


नचिकेता ने कहा, “मुझे इनमें से कुछ नहीं चाहिए, मुझे तो बस मेरे सवाल का जवाब चाहिए।”


यम ने नचिकेता की बात मान ली और उसे जीवन का रहस्य समझाया।


“नचिकेता, हमारा शरीर एक रथ के समान है, हमारी इन्द्रियाँ (senses) इस रथ के घोड़े हैं और ये घोड़े जिस रस्सी से बंधे हुए हैं उसे मन कहते हैं। यह मन रूपी रस्सी जिस सार्थी के हाथ में है उसे बुद्धि कहते हैं। और इस बुद्धि रूपी सार्थी की स्वामी है आत्मा। जो आत्मा को समझ लेता है वो जीवन को समझ लेता है।” (बच्चों को यह बात स्पष्ट रूप से समझाने के लिए आत्मा की तुलना भगवान से की जा सकती है।)


यम से अपने सवालों के जवाब पाकर नचिकेता अपने पिताजी के पास वापस लौट गया।

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स्रोत: कठोपनिषद

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Story type: Motivational, Mythological

Age: 6+years; Class: 2+

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