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श्वेतकेतु की कहानी
यह कहानी हमें सिखाती है कि संसार की हर चीज़ में भगवान है, हम उन्हे ं देख नहीं सकते पर हर चीज़ में उन्हें महसूस कर सकते हैं।

Story
एक समय की बात है उद्दालक नाम के एक महान ऋषि थे। उनका 12 साल का एक बेटा था, श्वेतकेतु। श्वेतकेतु अपना ज़्यादातर समय दोस्तों के साथ खेलने और मस्ती करने में बिताता था। उसके पिताजी को उसकी शिक्षा की बहुत चिंता थी इसलिए उन्होंने श्वेतकेतु को एक अच्छे और योग्य गुरु के पास शिक्षा लेने के लिए भेज दिया।
कुछ समय पश्चात श्वेतकेतु अपनी शिक्षा पूरी करके अपने घर वापस लौट आया। उसके पिताजी को यह महसूस हुआ कि श्वेतकेतु को अपने ज्ञान का बहुत घमंड हो गया है। वह जानते थे कि इतना अहंकार उसके लिए ठीक नहीं है, यह उसे जीवन के सच तक नहीं पहुँचने देगा।
