पाँच साल के बच्चों के लिए टीमवर्क पर 5 छोटी कहानियाँ (5 short stories on teamwork for 5 year old in Hindi)
- myNachiketa
- Oct 31
- 5 min read

टीमवर्क सब कुछ मज़ेदार बनाता है!
जब दोस्त एक-दूसरे की मदद करते हैं, बच्चे मिलकर कुछ खास बनाते हैं, या सब मिलकर अच्छा काम करते हैं - तब हमें पता चलता है कि साथ मिलकर हम और भी मज़बूत बनते हैं। तो चलिए, इन प्यारी-प्यारी कहानियों को पढ़ते हैं जहाँ छोटे-बड़े दोस्त सीखते हैं कि अगर हम अपने विचार बाँटें, एक-दूसरे की मदद करें और खुशी से काम करें, तो कुछ भी सम्भव है!
myNachiketa प्रस्तुत करता है पाँच साल के बच्चों के लिए टीमवर्क पर 5 छोटी कहानियाँ (5 short stories on teamwork for 5 year old in Hindi), जो बच्चों को मज़ेदार तरीक़े से अच्छाई और सहयोग का मूल्य सिखाती हैं!
1. बंदर और नदी

जंगल में दोपहर का समय था। बहुत गर्मी थी। बंदरों का एक झुंड पानी पीने नदी किनारे आया। सब हँसते, छींटे उड़ाते और खेल रहे थे। तभी एक छोटा बंदर फिसलकर पत्थर से नदी में गिर गया! वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बचाओ! बचाओ!” बाकी बंदर घबरा गए, लेकिन उन्होंने समय नहीं गँवाया। सबसे बड़े बंदर ने कहा, “जल्दी करो! हम एक चेन बनाते हैं!” एक बंदर ने पेड़ की डाल पकड़ी, दूसरे ने उसकी पूँछ, फिर तीसरे ने दूसरे की पूँछ पकड़ी — और ऐसे ही सब जुड़ते गए। अब बंदरों की एक लंबी चेन बन गई जो नदी तक पहुँच गई। सबसे छोटे बंदर ने झुककर उस बच्चे का हाथ पकड़ा। सबने मिलकर ज़ोर से खींचा, छपाक! और छोटा बंदर सुरक्षित बाहर आ गया! छोटा बंदर काँप रहा था, पर मुस्कुरा रहा था। सब बंदरों ने उसे गले लगाया और खुशी से उछलने लगे। नेता बंदर ने कहा, “जब हम सब मिलकर काम करते हैं, तो कोई हमें हरा नहीं सकता!” उस दिन सब बंदरों की दोस्ती और भी मज़बूत हो गई।
सीख: जब हम सब मिलकर काम करते हैं, तो बड़ी से बड़ी मुश्किल आसान हो जाती है।
2. गाँव का बगीचा

एक शांत से गाँव में चार अच्छे दोस्त रहते थे - रवि, मीना, अली और तारा। उन्हें बाहर खेलना और समय बिताना बहुत पसंद था। एक दिन रवि ने कहा, “चलो, अपने गाँव को रंग-बिरंगा बनाते हैं! क्यों न एक बगीचा लगाएँ?” सब बहुत खुश हुए और अपने-अपने घर भागे कुछ लाने। रवि बीज लाया, मीना पानी की बाल्टियाँ लाई, अली छोटी कुदाल लेकर आया ताकि मिट्टी खोद सके, और तारा बोली, “मैं हर पौधे के लिए सुंदर नाम की तख्तियाँ बनाऊँगी!” चारों दोस्त मिलकर धूप में काम करने लगे, मिट्टी खोदी, बीज डाले, पानी डाला। हर सुबह वे बगीचे को देखने आते। कुछ दिनों बाद मिट्टी से छोटे-छोटे हरे पौधे निकलने लगे। धीरे-धीरे पौधे बड़े हुए और लाल, पीले, गुलाबी, बैंगनी फूलों से भर गए। गाँव के लोग वहाँ रुककर बगीचे को देखते और कहते, “वाह! मिलकर क्या सुंदर किया है!” चारों दोस्त मुस्कुराए, उन्होंने गाँव के एक कोने को बगीचे में बदल दिया था। शाम को वे सब साथ बैठे, डूबते सूरज को देखते हुए खुश और गर्व महसूस कर रहे थे।
सीख: जब हम मिलकर काम करते हैं, तो नतीजे हमेशा सुंदर होते हैं।
3. स्कूल की दीवार की पेंटिंग

ग्रीनफील्ड स्कूल के मैदान की दीवार बहुत साधारण और फीकी लगती थी। एक सुबह टीचर ने कहा, “चलो, इस दीवार को रंगीन बना देते हैं!” बच्चे खुशी से उछल पड़े। सब ब्रश, रंग और अपने-अपने विचार लेकर आए। रिया ने लाल फूल बनाए, आरव ने मुस्कुराता हुआ पीला सूरज बनाया। माया ने फूलों के ऊपर रंग-बिरंगी तितलियाँ बनाई। रोहन ने रंग मिलाए और ध्यान रखा कि कोई रंग न गिरा दे। छोटी कव्या ने बादल और पक्षी बनाए, और अर्जुन ने दीवार पर एक सुंदर इंद्रधनुष खींच दिया। मैदान में हँसी और गीतों की गूंज भर गई। बच्चों के हाथ और चेहरे रंगों से भर गए, लेकिन सबको बहुत मज़ा आ रहा था! शाम तक वह फीकी दीवार एक सुंदर, रंगीन तस्वीर में बदल गई जिसमें खुशी और जीवन झलक रहा था। टीचर ने देखकर ताली बजाई और कहा, “तुम सबने टीमवर्क को कला में बदल दिया!” बच्चों ने सीखा कि मज़ा इस बात में नहीं था कि किसने सबसे अच्छा बनाया, बल्कि इस बात में था कि सबने मिलकर कुछ सुंदर बनाया।
सीख: जब हम सब एक साथ काम करते हैं, तो बड़े और सुंदर काम अपने-आप हो जाते हैं।
4. अटकी हुई गाड़ी

एक बरसात की सुबह, एक किसान अपनी सब्जियों से भरी गाड़ी लेकर बाज़ार जा रहा था। रास्ता बहुत कीचड़ भरा और फिसलन वाला था। अचानक गाड़ी के पहिए कीचड़ में धँस गए और हिलना बंद हो गए! किसान ने लगाम खींचते हुए कहा, “चलो घोड़ो, ज़ोर लगाओ!” लेकिन गाड़ी ज़रा भी नहीं हिली। किसान दुखी होकर बोला, “हाय, मैं अकेला यह नहीं कर पाऊँगा।” तभी पास से एक चरवाहा अपनी भेड़ों और गायों के साथ जा रहा था। उसने देखा कि किसान की गाड़ी फँस गई है, तो वह रुक गया और बोला, “चिंता मत करो, दोस्त! हम तुम्हारी मदद करेंगे।” चरवाहे ने अपने जानवरों को बुलाया और सब गाड़ी के पास आ गए। उसने कहा, “तैयार? एक, दो, तीन - धक्का लगाओ!” गायों ने पीछे से धक्का लगाया, भेड़ों ने पहियों पर ज़ोर दिया, और घोड़ों ने आगे से खींचा। सबने मिलकर ज़ोर लगाया और गाड़ी धीरे-धीरे कीचड़ से बाहर निकल आई! किसान मुस्कुराते हुए बोला, “धन्यवाद मेरे दोस्त, और धन्यवाद मेरी टीम!” सब हँस पड़े और बहुत खुश हुए कि उन्होंने मिलकर कठिन काम आसान बना दिया।
सीख: जब हम सब मिलकर काम करते हैं, तो सबसे मुश्किल काम भी आसान हो जाता है।
5. बत्तखें और तूफ़ान

एक सुनहरी सुबह, बत्तखों का एक परिवार तालाब में खुशी-खुशी तैर रहा था। माँ बत्तख आगे-आगे चल रही थी और उसके पाँच छोटे-छोटे बच्चे सीधी लाइन में पीछे-पीछे आ रहे थे। अचानक आसमान में काले बादल छा गए। हवा चलने लगी और जल्दी ही ज़ोरदार बारिश शुरू हो गई। शांत तालाब अब लहरों से भर गया। पानी के छींटे छोटे बत्तख़ों पर पड़ने लगे। “अरे नहीं!” एक बत्तख़ का बच्चा चिल्लाया, जो समूह से थोड़ा दूर चला गया था। माँ बत्तख़ ने ज़ोर से कहा, “पास रहो मेरे बच्चों!” फौरन उसने सबको सिखाया कि गोल घेरा बनाओ - सबने सिर अंदर की ओर किए और अपने पंखों को आपस में जोड़ लिया। छोटे बत्तख़ बच्चे माँ के साथ सटकर बैठ गए। हवा चलती रही, बारिश होती रही, पर उन्होंने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। थोड़ी देर बाद तूफ़ान थम गया और सूरज बादलों के बीच से झाँकने लगा। तालाब फिर से शांत हो गया। बत्तखें धीरे-धीरे किनारे पर आ गईं। माँ बत्तख़ मुस्कुराई और बोली, “देखा मेरे प्यारे बच्चों, जब हम साथ रहते हैं, तो कोई तूफ़ान हमें डरा नहीं सकता।” बत्तख़ बच्चे खुश होकर चहकने लगे और अपने पंखों से बारिश की आख़िरी बूँदें झटक दीं।
सीख: जब हम एकजुट रहते हैं, तो मुश्किल समय में भी सुरक्षित रहते हैं।

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