अष्टविनायक: गणेश जी की आठ सीखें (The 8 Vinayaks: Eight Ways Ganesha Guides Us in Hindi)
- myNachiketa
- 11 hours ago
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क्या आप जानते हो कि भगवान गणेश, जिनका चेहरा हाथी जैसा है, जिन्हे लड्डू बहुत पसंद हैं और हमारी सारी परेशानियाँ दूर करते हैं, उनके आठ खास रूप हैं? इन्हें अष्टविनायक कहा जाता है। “अष्ट” का मतलब है आठ और “विनायक” का मतलब है नेता या मार्गदर्शक। हर एक अष्टविनायक की अलग कहानी है और वे हमें कुछ न कुछ सिखाते हैं—जैसे बहादुर बनना, दयालु होना, धैर्य रखना और बुद्धिमान बनना।
लोग महाराष्ट्र में अष्टविनायक के मंदिरों में जाते हैं और प्रार्थना करते हैं। वहाँ जाकर वे आशीर्वाद पाते हैं और अच्छी बातें सीखते हैं। जैसे गणेश जी सबकी अलग-अलग तरीकों से मदद करते हैं, वैसे ही उनके आठ रूप हमें सिखाते हैं कि जीवन को हिम्मत, भलाई और मुस्कान के साथ कैसे जीना चाहिए।
myNachiketa गर्व से प्रस्तुत करता है अष्टविनायक: गणेश जी की आठ सीखें।
विनायक कौन होते हैं?
भगवान गणेश के आठ खास रूपों को विनायक कहा जाता है। हर विनायक हमें जीवन की अलग-अलग बातें सिखाते हैं। कोई हमें बहादुर बनना सिखाता है, कोई दयालु बनना, तो कोई धैर्य रखना। ये सभी रूप हमें कठिनाइयों से बाहर निकलने में मदद करते हैं और अच्छे इंसान बनने की राह दिखाते हैं। चलो, अब हम हर विनायक के बारे में जानते हैं!
वक्रतुंड
एक भयानक असुर था जिसका नाम मत्सरसुर था। वह ईर्ष्या से भरा हुआ था और हर जगह गुस्सा और परेशानी फैलाना चाहता था। उसने कठोर तप किया और शक्तिशाली बनकर देवताओं और लोगों को सताने लगा। तब गणेश जी ने वक्रतुंड रूप धारण किया, जिसका अर्थ है "टेढ़ी सूंड वाले।" उन्होंने उस असुर से लड़ने के लिए न तो कोई हथियार लिया और न ही गुस्सा किया। बल्कि उन्होंने बुद्धि, शांति और भलाई से उसे हराया।
गणेश जी का यह रूप हमें यह सीख देता है कि मुश्किलों को गुस्से से नहीं, बल्कि बुद्धि और शांति से दूर करना चाहिए।
तो बच्चों, जब आपको गणित का सवाल हल करने में कठिनाई हो, या शतरंज के खेल में मुश्किल प्रतिद्वंदी मिले, तब श्री गणेश के वक्रतुंड रूप को याद करो और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करो।
एकदंत
एक शक्तिशाली असुर था जिसका नाम मदासुर था। वह बहुत घमंडी हो गया था और सबको सताने लगा। देवताओं ने मदद के लिए गणेश जी से प्रार्थना की। तब गणेश जी ने एकदंत रूप धारण किया, जिसका अर्थ है "केवल एक ही दाँत है।" इस रूप में गणेश जी बलवान, बुद्धिमान और निडर थे। उन्होंने अपनी बुद्धि और शक्ति से मदासुर को हराया। लेकिन उन्होंने उसे चोट नहीं पहुँचाई, बल्कि उसे सबक सिखाया।
भगवान गणेश का यह रूप हमें सिखाता है कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए एकाग्र होकर मेहनत करनी चाहिए।
प्यारे बच्चों, कभी-कभी किसी कठिन स्थिति को पार करने के लिए मन की ताकत और शरीर की शक्ति दोनों की ज़रूरत होती है। जैसे कुश्ती के खेल में प्रतिद्वंदी को हराने के लिए दोनों ज़रूरी होते हैं।

महोदर
एक असुर था जिसका नाम मोहासुर था। वह लोगों में झूठ और भ्रम फैलाता था। उसकी वजह से लोग सही और गलत भूलने लगे और सब डर गए। तब गणेश जी ने महोदर रूप धारण किया, जिसका अर्थ है "बड़े पेट वाला।" उनका बड़ा पेट यह दिखाता है कि वे बहुत धैर्यवान और शांत थे—वे सारी चिंताओं और परेशानियों को अपने भीतर समा लेते थे, बिना परेशान हुए।
भगवान गणेश का यह रूप हमें सिखाता है कि धैर्य, शांत सोच और सच्चाई से हम सबसे बड़ी मुश्किलों को भी हल कर सकते हैं।
बच्चों, जब आपको दो चीज़ों में से चुनना मुश्किल लगे, तो शांत रहो और सोच-समझकर सही उत्तर चुनो।
गजानन
एक असुर था जिसका नाम कामासुर था। वह स्वार्थी था इच्छाओं और लालच से भरा हुआ था। उसे बस अपनी चाहत पूरी करनी थी, चाहे किसी को दुख क्यों न हो। देवताओं ने मदद के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना की। तब गणेश जी ने गजानन रूप धारण किया, जिसका अर्थ है "हाथी के मुख वाले।"
गणेश जी का यह रूप गजानन हमें सिखाता है कि हमें बुद्धिमान बनना चाहिए, लालच नहीं करना चाहिए और सिर्फ अपने बारे में नहीं, बल्कि दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए।

प्यारे बच्चों, आपको सिर्फ अपने बारे में नहीं, बल्कि अपने दोस्तों के बारे में भी सोचना चाहिए। जो आपके पास है उसमें खुश रहो और बार-बार ज़्यादा की इच्छा मत करो।
लम्बोदर
एक बार की बात है, एक असुर था जिसका नाम क्रोधासुर था। वह गुस्से का असुर था और सबको लड़वाता, चिल्लवाता और गुस्सा दिलाता था। शांति पूरी तरह गायब हो गई थी।
देवताओं ने भगवान गणेश से प्रार्थना की। तब गणेश जी ने लम्बोदर रूप धारण किया। क्रोधासुर ने उन्हें गुस्सा दिलाने की बहुत कोशिश की, लेकिन लम्बोदर शांत बने रहे। उन्होंने धीरे-धीरे असुर को समझाया कि गुस्सा कितना खतरनाक होता है और शांति व आत्मसंयम की ताक़त कितनी बड़ी होती है।

भगवान गणेश का यह रूप लम्बोदर हमें सिखाता है कि हमें अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए।
प्यारे बच्चों, याद रखो कि जब आप गुस्सा करते हो तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। भगवान गणेश के लम्बोदर रूप को याद करो और अपना गुस्सा उन्हें दे दो। वे आपको शांत बना देंगे और खुश रखेंगे।
विकट
एक बार एक चालाक असुर था जिसका नाम कामासुर था। वह लोगों में स्वार्थ फैला रहा था और उन्हें प्रेम, दया और भलाई भूलने पर मजबूर कर रहा था। लोग सिर्फ अपनी चाहत के बारे में सोचने लगे थे।
तब भगवान गणेश ने विकट रूप धारण किया, जिसका अर्थ है "अनोखा" या "अलग रास्ता अपनाने वाला।" अपने अनोखे तरीके से उन्होंने कामासुर को समझाया कि असली खुशी स्वार्थ में नहीं, बल्कि बाँटने और दूसरों की परवाह करने में है।
विकट रूप हमें सिखाता है कि कभी-कभी अलग तरह से सोचकर और अपनी कल्पना का उपयोग करके हम सबसे कठिन समस्याएँ भी हल कर सकते हैं।
प्यारे बच्चों, याद रखो कि अपनी चीज़ें बाँटना, दोस्तों और परिवार की मदद करना और दूसरों की परवाह करना ही सच्ची खुशी देता है। और जब भी आप किसी मुश्किल में फँस जाओ, तो कभी-कभी अनोखा तरीका अपनाकर भी उससे बाहर निकला जा सकता है।
विघ्नराजा
एक भयानक असुर था जिसका नाम ममासुर था। वह घमंड से भरा हुआ था और सबके लिए रुकावटें पैदा करता था। उसकी वजह से न पूजा हो पाती थी, न उत्सव मनाए जा सकते थे और न ही अच्छे लोग शांति से रह पाते थे। तब भगवान गणेश ने विघ्नराजा रूप धारण किया, जिसका अर्थ है "विघ्नों को दूर करने वाला राजा।"

विघ्नराजा ने लोगों की सारी रुकावटें और परेशानियाँ दूर कर दीं और ममासुर को समझाया कि दूसरों के लिए मुसीबतें खड़ी करना गलत है।
बच्चों, जब भी आप स्कूल या घर पर कोई काम करो, तो ध्यान रखो कि उससे दूसरों को परेशानी या रुकावट न हो।
धूम्रवर्ण
एक असुर था जिसका नाम अहमासुर था। वह घमंड का असुर था। उसे लगता था कि वह सबसे ज़्यादा बुद्धिमान, ताक़तवर और श्रेष्ठ है। अपने इसी घमंड में उसने लोगों को सताना शुरू कर दिया और उन्हें छोटा महसूस करवाने लगा। तब गणेश जी ने धूम्रवर्ण रूप धारण किया, जिसका अर्थ है "धुएँ के रंग वाला।" इस रूप में गणेश जी बादलों की तरह शक्तिशाली और शांत दिखाई दिए।

धूम्रवर्ण रूप हमें सिखाता है कि घमंड करने से हम अकेले पड़ जाते हैं, लेकिन दयालु और सम्मान करने से असली ताक़त मिलती है।
बच्चों, अगर आप नृत्य, चित्रकला, गायन या किसी और काम में अच्छे हो, तो आपको घमंडी या शेखीबाज़ नहीं बनना चाहिए। बल्कि नम्र, विनम्र और सरल बनना चाहिए।
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अष्टविनायक आठ मार्गदर्शक जैसे हैं, जो हमें ख़ुशी भरा जीवन जीना सिखाते हैं और अच्छी सीख देते हैं। इनकी अद्भुत कहानियाँ हमें बहादुर, दयालु और बुद्धिमान बनने की सीख देती हैं। जैसे भगवान गणेश बिना डरे समस्याओं का सामना करते हैं और उन्हें हल करने के नए तरीके ढूँढते हैं, वैसे ही हम भी कर सकते हैं।
तो बच्चों, अगली बार जब कोई कठिनाई आए, तो अष्टविनायकों और उनकी सीख को याद करना। उनकी कहानियाँ आपको सही काम करने की ताक़त देंगी। आओ, हम हमेशा अपने प्यारे भगवान गणेश को धन्यवाद दें और उनका उत्सव मनाएँ, जो जीवन के हर उतार-चढ़ाव में हमारी मदद करते हैं।
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