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आधे शेर और आधे मानव की कहानी

यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान हर जगह हैं और हर प्रकार के खतरे से हमारी रक्षा करते हैं।

Narasimha avatar ki kahani

कहानी


बहुत समय पहले एक शक्तिशाली और घमंडी राजा था, जिसका नाम हिरण्यकश्यप था। वह चाहता था कि सभी लोग उसे भगवान मानें और भगवान विष्णु की पूजा न करें। अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए उसने भगवान ब्रह्मा से एक विशेष वरदान प्राप्त किया, जिसके अनुसार:

  • उसे न कोई मनुष्य मार सकता था, न जानवर

  • न वह घर के अंदर मर सकता था, न बाहर

  • न वह दिन में मर सकता था, न रात में

  • न धरती पर मर सकता था, न आकाश में

  • और ने ही उसे किसी भी हथियार से मारा जा सकता था


हिरण्यकश्यप ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और लोगों को डराकर पूरी दुनिया पर राज करने लगा। वह चाहता था कि सभी लोग उसे भगवान मानें और किसी दूसरे भगवान की पूजा न करें।


लेकिन उसका खुद का बेटा, प्रह्लाद, भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और प्रेम से भरा हुआ था! वह हर दिन भगवान विष्णु की पूजा करता था।


उसके पिता को यह बिल्कुल पसंद नहीं आता था और वह चाहते थे कि प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करना बंद कर दे। लेकिन प्रह्लाद, भगवान विष्णु के प्रति अपने विश्वास में अडिग रहा और उसने अपने पिता को भगवान मानने से इंकार कर दिया।


एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को सजा देने का फैसला किया।


उसने पूछा, "अब तुम्हारा विष्णु कहाँ है? बुलाओ, उसे अपनी मदद के लिए!"


प्रह्लाद ने शांति से जवाब दिया, "भगवान विष्णु हर जगह हैं।"


"अच्छा, तो क्या वह इस खंभे में भी है?" हिरण्यकश्यप ने गुस्से में पूछा।


प्रह्लाद मुस्कुराए और कहा, "जी हाँ, वह इस खंभे में भी हैं।"


यह सुनकर हिरण्यकश्यप ने अपनी गदा से खंभे पर वार किया। जैसे ही खंभे में दरार पड़ी, एक तेज़ दहाड़ सुनाई दी। खंभे से एक अद्भुत और शक्तिशाली प्राणी निकला—वह आधा आदमी था और आधा शेर।


यह भगवान विष्णु के चौथे अवतार, भगवान नरसिंह थे। वह न तो पूरी तरह मनुष्य थे, न ही पूरी तरह जानवर।

Story of Narasimha Avatar pic

उन्होंने हिरण्यकश्यप को महल के द्वार पर लाकर, अपनी गोद पर रखा। अब वह न तो घर के अंदर था न बाहर, न ज़मीन पर था, न आकाश में। सूर्यास्त का समय था, तो न दिन था न रात। भगवान नरसिंह ने किसी भी हथियार का प्रयोग किए बिना, अपने नाखूनों से उस राक्षस राजा को सज़ा दी। इस तरह भगवान नारसिंह ने भगवान ब्रह्मा का मान रखते हुए, बुराई का अंत किया जिससे दुनिया में सुख-शांति लौट आई।


भगवान नारसिंह अभी भी दिव्य ऊर्जा से गरज रहे थे। लेकिन जब प्रह्लाद ने हाथ जोड़कर शांति से प्रार्थना की, तब वह शांत हुए। उन्होंने मुस्कुराकर उस बहादुर लड़के को आशीर्वाद दिया।


इस कहानी से हम क्या सीख सकते हैं?

  1. प्रह्लाद की तरह विश्वास रखें, और हमेशा सत्य के साथ दें।

  2. भगवान हर जगह हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

  3. अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय पाती है।


तो अगली बार जब आपको डर लगे या आप अकेला महसूस करें, तो प्रह्लाद की कहानी याद रखें। अगर आपका दिल विश्वास और प्रेम से भरा है, तो भगवान हमेशा आपकी रक्षा करेंगे।

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उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।

नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥


Source: नृसिंह द्वात्रिंशदक्षर मन्त्रः


Meaning

मैं भगवान नरसिंह को नमन करता हूँ, जो बुराई के लिए भयंकर हैं और अच्छे लोगों के लिए दयालु हैं।
वे भगवान विष्णु के तेजस्वी स्वरूप हैं, जो हमें हर संकट से बचाते हैं।

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Story type: Spiritual

Age: 7+years; Class: 3+

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