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हनुमानजी ने कैसे किया समुद्र पार 

यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान हमारे अंदर हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं।

हनुमानजी ने कैसे किया समुद्र पार

Story


सातवीं कक्षा में पढ़ने वाला सार्थक एक मेहनती और काबिल बच्चा था। उसके स्कूल में तैराकी (स्विमिंग) की प्रतियोगिता होने वाली थी। सार्थक भी प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता था, पर उसे तैरना बहुत मुश्किल लगता था। उसे लगता था कि वह एक अच्छा तैराक कभी नहीं बन पाएगा। उसकी क्लास के सभी बच्चे पूल में तैरने का अभ्यास कर रहे थे और वह चुपचाप खड़ा उन्हें देख रहा था। तभी अचानक पानी में एक व्हर्लपूल बना और सार्थक का दोस्त नचिकेता वहाँ आ गया। “सार्थक आओ तैरते हैं, मज़ा आएगा!” नचिकेता ने सार्थक को पूल में बुलाते हुए कहा।


सार्थक बोला, “नचिकेता तुम तो जानते ही हो कि मेरे लिए तैरना कितना मुश्किल है, मेरी साँस फूल जाती है और मैं बहुत जल्दी थक जाता हूँ।”


नचिकेता उछल कर पानी से बाहर आया और बोला, “तुम्हें पता है मैं भी पहले तैरने से बहुत डरता था पर फिर मैंने हनुमानजी की एक कहानी सुनी जिससे मुझमें बहुत हिम्मत आई। चलो मैं तुम्हें भी वो कहानी सुनाता हूँ।”


एक बार हनुमानजी अपने मित्रों के साथ भगवान श्री राम की पत्नी सीता माता की खोज पर निकले, जिन्हें लंका का राजा रावण उठाकर ले गया था।


लंका नगरी समुद्र-पार थी। हनुमानजी और उनके दोस्तों के सामने एक बड़ी समस्या थी, “इतने विशाल समुद्र को कैसे पार किया जाए।”


हनुमानजी के मित्र जामवंत उनसे बोले, “तुम इस विशाल समुद्र को आसानी से पार कर सकते हो।”

जामवंत की बात सुनकर हनुमानजी हैरान हो गए और बोले, “यह आप क्या कह रहे हैं! भला मुझ जैसा छोटा-सा वानर इतने विशाल समुद्र को कैसे पार कर सकता है।”


जामवंत मुस्कुराए और बोले, “तुम खुद को छोटा और कमज़ोर मत समझो, हनुमान। तुम बहुत शक्तिशाली हो। तुम्हें कई देवी-देवताओं से शक्तियाँ मिली हुई हैं, जिनके बारे में तुम भूल चुके हो।”


“तुम बचपन में बहुत नटखट थे और अपनी शक्तियों से ऋषियों को परेशान किया करते थे। इसलिए एक ऋषि ने क्रोध में आकर तुम्हें श्राप दिया कि तुम अपनी सारी शक्तियाँ भूल जाओगे, पर किसी के याद दिलाने पर तुम्हें वो याद आ जाएँगी।”


जामवंत ने हनुमान को उनकी शक्तियाँ याद दिलाई। शक्तियाँ याद आते ही हनुमानजी ने श्रीराम का नाम लेकर उड़ान भरी और समुद्र पार कर लंका पहुँच गए।


“कुछ समझे सार्थक? हनुमानजी में शक्तियाँ पहले से ही थी बस वो उनके बारे में भूल गए थे। ठीक वैसे ही हम सब में भी भगवान की शक्ति है। हम कुछ भी कर सकते हैं भले ही वो कितना ही कठिन हो,” यह कहकर नचिकेता गायब हो गया।


सार्थक समझ गया कि अगर वह खुद पर विश्वास रखकर कड़ी मेहनत करेगा तो वह ज़रूर एक अच्छा तैराक बन पाएगा।

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स्रोत:  भगवद् गीता


जैसा की भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है:


सर्व भूत स्थितं

भगवान सभी में हैं।

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Story type: Adventure, Motivational, mythological

Age: 6+years; Class: 2+

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