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राम हनुमान मिलन : भक्ति और समर्पण की कहानी

यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान के प्रति सच्ची भक्ति और प्रेम हमें निडर और निःस्वार्थ बना देती है।

राम हनुमान मिलन

Story


सौम्या आठ साल की एक छोटी लड़की थी। बचपन से ही उसे धर्म और दर्शन में गहरी रुचि थी। उसने कभी परी कथाओं या जादुई कहानियों की किताबें नहीं खरीदीं। जब भी वह किसी किताब की दुकान पर या पुस्तक मेले में जाती, तो हमेशा कृष्ण भगवान, रामजी और हिंदू दर्शन पर आधारित कहानी की किताबें खरीदती। वह अपनी माँ से myNachiketa वेबसाइट से किताबें खरीदने के लिए कहती, क्योंकि उसे वहाँ से मिलने वाली हिंदू दर्शन पर आधारित किताबें बहुत पसंद थीं।  


एक दिन, वह पार्क में बैठी थी और अपने विचारों में खोई हुई थी। उसके दोस्त बार-बार उसका नाम पुकार रहे थे, लेकिन वह पूरी तरह से अपनी सोच में डूबी हुई थी।  


आहाना, उसकी सहेली ने उसे झकझोरा और कहा, “तू क्या सोच रही है? कहाँ खोई हुई है?”  


उसके दूसरे दोस्त ध्रुव ने बोला, “ये तो दिन में सपने देख रही है।” सभी दोस्त हँस पड़े, और सौम्या भी उनके साथ हँसने लगी।  


सौम्या ने कहा, “मैं रामजी और हनुमान मिलन की कहानी के बारे में सोच रही थी जो मैने कल पढ़ी थी। वह बहुत ही अच्छी कहानी थी। मैं उस कहानी के पात्रों और दृश्यों की कल्पना कर रही थी।”  


सभी दोस्त इ साथ बोले, “कौन सी कहानी? हमें भी सुनाओ।”  


सौम्या ने कहा, “ठीक है! मैं कहानी सुनाऊँगी, लेकिन एक शर्त है। तुम सब शांत होकर सुनोगे।”  


चलो सुनो! 


जब भगवान राम अपने वनवास का समय बिता रहे थे, तब वे अपनी पत्नी देवी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट के जंगलों में रहते थे। कुछ वर्ष वहाँ बिताने के बाद वे पंचवटी के जंगलों में चले गए। पंचवटी में, राक्षसराज रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया, क्योंकि वह उनसे विवाह करना चाहता था।  


इसके बाद, श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण ने माता सीता की खोज शुरू की। यात्रा करते-करते वे  दक्षिण दिशा में स्थित ऋष्यमूक पर्वत पहुँचे। इस पर्वत पर वानरों का वास था, जिनके राजा सुग्रीव थे। सुग्रीव को उनके भाई बाली ने राजसिंहासन से हटा दिया था इसलिए उन्होंने ऋष्यमूक पर्वत के जंगलों में शरण लिया था।  


सुग्रीव हमेशा अपने मित्र हनुमानजी को दुश्मनों पर नजर रखने के लिए भेजते थे। एक दिन, हनुमानजी, जो भगवान राम के महान भक्त थे, ऋष्यमूक पर्वत के जंगल में घूम रहे थे।  


हनुमानजी ने देखा कि दो पुरुष पर्वत की ओर बढ़ रहे थे। वे सादे वस्त्र पहने हुए थे, लेकिन उनका तेज वीरों वाला था। हनुमानजी ने उनकी दिव्यता और तेज का अनुभव किया और उनके मन में उन दिव्य पुरुषों के लिए भक्ति की भावना जागी।  


उनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, हनुमानजी ने एक ज्ञानी ब्राह्मण के रूप लिया और उनके पास पहुँचे। विनम्रता और आदर के साथ उन्होंने पूछा, “आप कौन हैं? आप इस जंगल में ऋषि की तरह घूम रहे हैं, लेकिन आपका रूप, व्यवहार और अस्त्र-शस्त्र आपको योद्धा जैसा दिखाते हैं। क्या मैं जान सकता हूँ कि आप कौन हैं और यहाँ क्यों आए हैं?”  


रामजी ने हनुमानजी की सच्चाई और भक्ति को देखकर मुस्कुराते हुए अपना परिचय दिया और बताया कि रावण ने देवी सीता का अपहरण कर लिया है। उन्होंने हनुमानजी से माता सीता को ढूँढने में सहायता माँगी।  


जब हनुमानजी ने श्रीराम के वचन सुने, तो उनका हृदय आनंद और भक्ति से भर गया। उन्होंने महसूस किया कि ये कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान राम हैं। हनुमानजी अपने असली रूप में आ गए और श्रीराम को प्रणाम किया। 


हनुमानजी ने हाथ जोड़कर कहा, “मैं हनुमान, राजा सुग्रीव का सेवक हूँ। मैंने अपना पूरा जीवन इस पल की प्रतीक्षा में बिताया है, कि मैं आपकी सेवा कर सकूँ।”  


रामजी हनुमानजी की सरलता, भक्ति और सेवा भाव से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने हनुमानजी को गले लगाया और उनके निर्मल मन को पहचाना। यह मिलन एक दिव्य मिलन था क्योंकि यह एक भक्त का अपने भगवान से मिलन था, जिसने हनुमानजी को रामजी का सबसे वफादार और समर्पित भक्त बना दिया।  


राम-हनुमान मिलन का यह प्रसंग भगवान और भक्त के बीच के प्रेम और विश्वास के बंधन का प्रतीक है। हनुमानजी की भक्ति श्रीराम के प्रति भक्ति और समर्पण की सबसे ऊँची मिसाल है।  


हनुमानजी, भगवान राम से मिलने के बाद, स्वयं को अधिक शक्तिशाली, बुद्धिमान और निडर महसूस करने लगे, क्योंकि वे प्रभु राम के सच्चे भक्त थे।  


सभी बच्चे कहानी सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। उनके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान थी। वे सभी एक साथ चिल्लाए, “जय श्री राम!” 

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आपदाम पहर्तारं दातारं सर्व सम्पदाम्।
लोका भिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

Source: Shri Ram Raksha Stotram


मैं बार-बार भगवान श्रीराम को प्रणाम करता हूँ, जो सभी कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने वाले हैं, सभी प्रकार की समृद्धि और धन प्रदान करने वाले हैं, और जो सम्पूर्ण लोकों को आनंद देने वाले हैं।

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Story type: Religious, Motivational

Age: 7+years; Class: 3+

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