चीनी और पानी की कहानी
यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान हर जगह हैं।
Story
शालू रोज़ सुबह अपनी माँ के साथ घर के पास वाले मंदिर में जाती है। उसे मंदिर जाना बहुत अच्छा लगता है।
एक दिन मंदिर से लौटते समय शालू की नज़र मंदिर की दीवार पर गई जहाँ लिखा था, “भगवान हर जगह हैं।”
शालू सोचने लगी, “हर चीज़ में भगवान कैसे हो सकते हैं? और अगर ऐसा है तो हमें भगवान दिखाई क्यों नहीं देते? शायद मेरे दोस्त, नचिकेता को पता हो।” तभी धोती और पगड़ी पहने एक लड़का स्केटबोर्ड से वहाँ आया।
“अरे वाह! नचिकेता तुम,” शालू ने कहा।
“तुम्हारे सवाल का जवाब मेरे पास है। पर पहले तुम्हें एक जादू दिखाता हूँ,” नचिकेता ने कहा।
नचिकेता ने कुछ जादुई शब्द कहे और शालू के सामने एक कटोरी चीनी, एक गिलास पानी और एक चम्मच आ गया। जादू से एक चम्मच चीनी पानी में मिल गया। शालू यह सब देख कर बहुत हैरान थी।
नचिकेता ने शालू पूछा, “क्या तुम्हें पानी में चीनी दिख रहा है?
“नहीं,” शालू बोली।
नचिकेता ने शालू को पानी पीने के लिए कहा और पूछा, “मीठा है ना?”
“हाँ, यह तो बहुत मीठा है!” शालू बोली।
“क्या तुम समझी? भले ही चीनी पानी में दिखाई न दे पर उसकी मिठास पानी की एक-एक बूंद में है। ठीक इसी तरह भगवान भी हमें दिखाई नहीं देते पर अगर हम महसूस करें तो उनका एहसास हर जगह पाएंगे।”
“इसका मतलब, भगवान हर जगह हैं, हवा में, पानी में, मिट्टी में, पेड़-पौधों में और जानवरों में भी,” शालू ने कहा।
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Shloka
स्रोत: छान्दोग्य उपनिषद्
छान्दोग्य उपनिषद् के इस श्लोक में यही बात कही गई है।
सर्वं खल्विदं ब्रह्म
हर जगह भगवान हैं। संसार की हर चीज़ में भगवान है, हम उन्हें देख नहीं सकते पर हर चीज़ में उन्हें महसूस कर सकते हैं।
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Story type: Witty, Activity-Based
Age: 6+years; Class: 2+