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जनक और शुक

यह कहानी हमें सिखाती है कि जिसे सच या भगवान का ज्ञान हो जाता है वह सुख और दुख में एक जैसा रहता है।

जनक और शुक

Story


बहुत पुराने समय की बात है वेदव्यास नाम के एक बहुत ही महान और ज्ञानी ऋषि थे।  उन्हें वेद और उपनिषद् का पूरा ज्ञान था। ऋषि वेदव्यास के पुत्र का नाम था शुक। ऋषि ने शुक को वह सब ज्ञान दिया जो वह जानते थे।


जैसे-जैसे शुक बड़े हुए भगवान और सच के बारे में उनका ज्ञान बढ़ता गया। ऋषि व्यास जानना चाहते थे कि शुक का ज्ञान सच्चा है या नहीं। इस बात की परख करने के लिए उन्होंने शुक को राजा जनक से मिलने के लिए भेजा।


राजा जनक मिथिला के राजा थे और उनके ज्ञान और बुद्धि की चर्चा दूर-दूर तक थी। शुक अपने पिता की बात मान कर राजा जनक से मिलने गए।


मिथिला में राज-दरबारियों ने उनसे बड़ा ही आम बर्ताव किया। उन्हें एक साधारण जगह पर बैठने के लिए कहा। हालांकि शुक बहुत बड़े ऋषि के बेटे थे राजा जानक के दरबारियों ने उनका कुछ खास स्वागत सत्कार नहीं किया।


तीन दिन तक वह उसी जगह पर बैठे रहे और राजा जनक से मिलने का इंतज़ार करते रहे।अचानक तीन दिन बाद महल का माहौल बदल गया। राजा के लोग, शुक को एक बड़े और सुंदर कमरे में ले गए।


उस कमरे में हर तरह की सुख-सुविधा की चीज़ें मौज़ूद थीं। जो दास-दासी अभी तक शुक को भाव नहीं दे रहे थे वे सब अब दिन रात उनकी सेवा में लगे थे।


शुक को अब राज-दरबारियों से बहुत महत्व मिल रहा था। शुक आठ दिनों तक इसी आलीशान कमरे में बड़े शान से रहे।


इन दोनों ही स्थितियों में शुक शांत रहे और अपने आसपास के माहौल का उनके मन पर कोई असर नहीं पड़ा। 


आठ दिनों के बाद शुक को राजा जनक के दरबार में लाया गया। राजा जनक अपने सिंहासन पर बैठे थे और दरबार में नृत्य-संगीत का कार्यक्रम चल रहा था। राजा जनक ने शुक को दूध से भरा एक प्याला दिया।


उन्होंने शुक से दूध की एक भी बूँद गिराए बिना  दरबार के सात चक्कर लगाने को कहा। शुक को इसी शोरगुल के बीच यह मुश्किल काम पूरा करना था। उन्होंने अपना मन शांत रखा और पूरा ध्यान प्याले पर रखते हुए सफलता से यह काम पूरा किया। 


शुरू से अंत तक राजा जनक शुक की परीक्षा ही ले रहे थे और हर परीक्षा में शुक सफल रहे। राजा जनक शुक की एकाग्रता और अपने मन को काबू में रख पाने की उनकी शक्ति से बहुत खुश हुए। राजा जनक समझ गए कि उन्हें सच और भगवान का पूरा ज्ञान है। 


जिसे सच या भगवान का ज्ञान हो जाता है वह सुख और दुख में एक जैसा रहता है। बाहरी माहौल का उसके मन पर कोई असर नहीं पड़ता।

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Story type: Motivational

Age: 7+years; Class: 3+

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