जैसा कर्म वैसा फल
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारे कर्म ही परिणाम निर्धारित करते हैं।
Story
किरण आज स्कूल में होने वाले चित्रकारी प्रतियोगिता के लिए बहुत उत्साहित थी। उसने रात को ही अपने सारे पेंटिंग कलर्स स्कूल बैग में रख लिए थे।
उसकी क्लास की एक लड़की निधि अपने कलर्स लाना भूल गई थी। उसे पता था कि किरण कलर्स ज़रुर ले आई होगी। जब सभी बच्चे क्लास से बाहर गए। तब निधि ने चुपके से किरण के बैग से उसके कलर्स निकाल लिए।
किरण ने किताबें निकालने के लिए बैग खोला तो उसे अपने कलर्स नहीं दिखे। वह परेशान हो गई। “हे भगवान! मेरे कलर्स कहाँ गए, मैंने तो बैग में ही रखे थे। अब मैं पेंटिग कैसे करुँगी!”
किरण परेशान होकर अपने कलर्स इधर-उधर ढूंढने लगी। निधि उसे परेशान देख मन ही मन खुश हो रही थी। प्रतियोगिता शुरू होने भी अभी थोड़ा समय बाकी था। अचानक किरण को एक तरकीब सूझी।
वह दौड़कर स्कूल के गार्डन में पहुँची। वहाँ उसने माली की आज्ञा से कुछ फूल और पत्तियाँ तोड़ी। फिर वह केमिस्ट्री लैब में गई और फूलों और पत्तियों को पीस कर उसमे कुछ रसायन मिलाकर अलग-अलग रंग तैयार किए।
इन रंगों का इस्तेमाल करके किरण ने कृष्ण भगवान की एक मनमोहक तस्वीर बनाई। उसने अपने सहपाठी को भी रंग दिए जो अपने कलर्स लाना भूल गया था। निधि ने भी एक सुंदर प्राकृतिक दृश्य (लैंडस्केप) बनाया।
निधि को पूरा विश्वास था कि इस बार प्रतियोगिता में वही प्रथम आएगी। पर अचानक निधि की बनाई हुई तस्वीर पर उसकी बोतल का पानी गिर गया और तस्वीर खराब हो गई।
किरण एक बार फिर प्रथम आई और निधि को कोई इनाम नहीं मिला।
तो बच्चों आपने देखा कि निधि को अपने बुरे काम का बुरा फल मिला और किरण को अपने अच्छे काम का अच्छा फल मिला।
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Shloka
स्रोत: वाल्मीकि रामायण
वाल्मीकि रामायण का यह श्लोक हमें यही बात सिखाता है।
यादृशं कुरुते कर्म तादृशं फलमश्नुते ॥
हम जैसा कर्म करेंगे हमें वैसा ही फल मिलेगा। हमें जीवन में हमेशा अच्छे काम करने चाहिए, क्योंकि अच्छे कामों का परिणाम अच्छा होता है और बुरे कामों का बुरा फल मिलता है।
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Story type: Motivational, Activity-Based
Age: 7+years; Class: 3+