विदुषी घोषा
यह कहानी हमें सिखाती है कि संसार की कोई भी चीज़ भगवान से अलग नहीं है और ना ही भगवान संसार की किसी भी चीज़ से अलग हैं।
Story
घोषा, ऋषि कक्षीवत की बेटी थी। वह बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थी। उन्होंने छोटी उम्र में ही वेदों की शिक्षा हासिल कर ली थी।
घोषा को बचपन में त्वचा रोग हो गया था। जिस कारण उन्हें घर में ही रहना पड़ता था। घोषा इस बात से बहुत दुखी रहती थी कि अपनी बिमारी के कारण वो बाहर नहीं जा सकती थी और ना ही अपने दोस्तों के साथ खेल सकती थी।
घोषा बड़ी हुई पर उनकी बिमारी ठीक नहीं हुई। उनके पिता ने उन्हें भगवान से प्रार्थना करने के लिए कहा ताकि उनकी बीमारी ठीक हो जाए।
घोषा ने अश्विनी कुमारों की पूजा की। हिन्दू धर्म में अश्विनी कुमारों को देवताओं का डॉक्टर माना जाता है। अश्विनी कुमारों ने घोषा की बीमारी ठीक कर दी और फिर से उनका शरीर स्वस्थ हो गया।
अश्विनी कुमारों ने घोषा को मधु विद्या सिखाई - संसार की कोई भी चीज़ भगवान से अलग नहीं है और ना ही भगवान संसार की किसी भी चीज़ से अलग हैं।
अश्विनी कुमारों से यह सच्चा ज्ञान पाकर घोषा बहुत खुश हुई और उन्होंने उनकी तारीफ़ में दो भजन लिखे जो हमें ऋग्वेद में पढ़ने को मिलते हैं।
घोषा ने ठीक होने के बाद, अपने जीवन में एक नई शुरुआत की। उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और ज्ञान का उपयोग करके दूसरों की मदद की। उन्होंने अपने पिता के साथ आश्रम के विद्यार्थियों को वेदों की शिक्षा दी।
घोषा ने अश्विनी कुमारों द्वारा सखी हुई मधु विद्या को दूसरे लोगों को भी सिखाया जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आए। उन्होंने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से लोगों को प्रेम और करुणा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
घोषा के जीवन की कहानी हमें यह सिखाती है कि सही ज्ञान और विश्वास के साथ, हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।
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Story type: Motivational
Age: 7+years; Class: 3+