शरीर से परे क्या?
यह कहानी हमें सिखाती है कि हम अपने शरीर से बढ़कर हैं हम आत्मा हैं।
Story
एक बार ऋषि व्यास वृन्दावन में यमुना नदी के किनारे बैठे थे। तभी वहाँ कुछ ग्वालिनें (दूध बेचने वाली) आईं। उन्हें नदी पार कर दूसरे गाँव जाना था ताकि वे वहाँ दूध, दही और मक्खन बेच सकें।
पर नदी में दूर-दूर तक कोई नाव नहीं दिखाई दे रही थी। ग्वालिनें बहुत परेशान हो गईं कि अब वे यमुना नदी को पार कैसे करेंगी।वह मदद के लिए ऋषि व्यास के पास पहुँचीं।
ऋषि बोले, “मैं तुम्हारी मदद ज़रूर करूँगा, मुझे भी उस पार जाना है। पर उससे पहले, क्या तुम मुझे थोड़ा दूध और दही दे सकती हो, मुझे बहुत तेज़ भूख लगी है।”
जब ऋषि ने पेट भरकर दूध, दही और मक्खन खा लिया तब ग्वालिनों ने उन्हें अपना वचन पूरा करने के लिए कहा।
ऋषि व्यास यमुना नदी में उतरे और दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना की, “हे माँ, अगर मैंने कुछ भी नहीं खाया है तो आप हमें नदी में रास्ता दीजिए ताकि हम उस पार जा सकें।”
ऋषि की प्रार्थना सुनकर ग्वालिनें हँस पड़ी क्योंकि कुछ देर पहले ही ऋषि ने जी भर के दूध-दही का आनंद लिया था।
यमुना नदी ने ऋषि की प्रार्थना स्वीकार की और नदी के बीचों-बीच रास्ता दे दिया।
ऋषि अपने साथ ग्वालिनों को उस रास्ते से नदी के पार ले गए।
आखिर क्यों यमुना नदी ने ऋषि की प्रार्थना मान ली? ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ऋषि जानते थे कि वह अपने शरीर से बढ़कर है वह आत्मा हैं। दूध, दही और मक्खन का सेवन उनके शरीर ने किया था उन्होंने नहीं।
हम अपने शरीर से बढ़कर हैं हम आत्मा हैं।
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Story type: Motivational
Age: 7+years; Class: 3+