10 लाइन की छोटी नैतिक कहानियाँ बच्चों के लिए (Best 10 Line Short Stories with Moral in Hindi)
- myNachiketa
- 4 days ago
- 5 min read

क्या आप बच्चों को जरूरी बातें सिखाने का एक मज़ेदार तरीका ढूँढ रहे हो?
नैतिक शिक्षाओं वाली छोटी-छोटी कहानियाँ छोटे बच्चों के लिए बहुत अच्छी होती हैं! ये सोने से पहले सुनाने वाली कहानियाँ बच्चों को दया, ईमानदारी और दूसरी अच्छी बातों के बारे में सिखाती हैं, और वह भी आसान तरीके से। हिंदी की नैतिक छोटी कहानियाँ बच्चों को अच्छे संस्कार और जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य सिखाती हैं।
myNachiketa आपके लिए 10 लाइन की छोटी-छोटी कहानियाँ लेकर आया है, जो बच्चों को अच्छी बातें सिखाती हैं। ये मज़ेदार कहानियाँ सुनकर 3 से 5 साल के बच्चे बहुत खुश होंगे और खेल-खेल में जिंदगी की जरूरी बातें सीखेंगे!
1. गोली का सही चुनाव
(Short Story with moral in Hindi)

एक बार की बात है, जंगल में एक छोटी गिलहरी था जिसका नाम गोली था। गोली को अपनी दोस्त चीनी उल्लू के साथ समय बिताना बहुत पसंद था। वे खेलते, कहानियाँ सुनाते और खूब मस्ती करते। गोली एक चालाक लोमड़ी को भी जानती थी जिसका नाम चतुर था। चतुर हमेशा दूसरे जानवरों को चिढ़ाता, उनके नाम रखता और उनका मजाक उड़ाता था।
एक दिन, चतुर ने चीनी को चिढ़ाना शुरू कर दिया। वह उसे "पागल उल्लू" कहने लगा और उल्लुओं के बारे में बुरी बातें बोलने लगा। गोली को पता था कि चतुर अच्छा नहीं कर रहा है, लेकिन वह अपनी दोस्ती खोना नहीं चाहती थी। बाद में, गोली चीनी के घोंसले पर उससे मिलने गयी। चीनी उदास था और उसने गोली से कहा, "अब सबको लगता है कि मैं अच्छा नहीं हूँ, क्योंकि चतुर ने ऐसा कहा।"
गोली को एहसास हुआ कि वह ऐसे किसी से दोस्ती नहीं रखना चाहती जो दूसरों को दुख पहुँचाए। उसने चतुर के साथ अपनी दोस्ती खत्म करने का फैसला किया। उसने चीनी से वादा किया कि अब से वह हमेशा ऐसे दोस्तों को चुनेगी जो दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करें।
नैतिक शिक्षा: हमें अपने दोस्तों को सोच-समझकर चुनना चाहिए, जो हमें बेहतर बनने में मदद करें।
2. वृंदा और खुशी का रहस्य
(Short Hindi Story with moral)

वृंदा अपने माता-पिता के साथ एक गाँव में रहती थी। एक दिन, शहर में रहने वाले उसके भाई-बहन उससे मिलने आए। उन्होंने सुंदर कपड़े, जूते और घड़ियाँ पहनी थीं। उस रात, वृंदा ने उनके सामान के बारे में सोचा और उदास हो गई क्योंकि उसके पास वे चीज़ें नहीं थीं।
उसकी माँ ने यह देखा और पूछा, “वृंदा, तुम्हारे मन में क्या चल रहा है?”
वृंदा रोने लगी और बोली, “मुझे भी ये चीज़ें चाहिए।”
उसकी माँ मुस्कुराई और बोली, “चीजों की इच्छा रखना ठीक है, लेकिन असली खुशी अपने पास जो है, उससे खुश रहने में है।”
वृंदा ध्यान से सुनती रही, जब उसकी माँ ने कहा, “जब हम अपनी चीज़ों से खुश रहते हैं, तो हम उनका मज़ा औरअच्छे से ले पाते हैं। बात दूसरों के पास क्या है, इसकी नहीं है, बल्कि अपने पास जो है, उसका सही इस्तेमाल करने की और उससे संतुष्ट रहने की है।”
वृंदा ने समझ लिया और वादा किया कि वह अपने पास की चीज़ों से खुश रहेगी।
नैतिक शिक्षा: हमें अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और शांति से फैसले लेने चाहिए।
सरल कविताओं के माध्यम से गीता की शिक्षा।

गीता कविता पुस्तक संग्रह | 3 कविताओं का संग्रह | 3-5 वर्ष आयु के लिए |
3. कुणाल का ख़ुशी बाँटने वाला तोहफा
(Small Hindi Story with moral)

कुणाल, आठ साल का लड़का था, जिसके पास एक पेंग्विन सॉफ्ट टॉय था, जिसका नाम पेनी था। वह हर रात पेनी को कहानियाँ सुनाता और उसके साथ सोता था। कुणाल के जन्मदिन पर उसका भाई अमन मिलने आया। खेलने के बाद अमन को वापस घर जाना था।
कुणाल ने पूछा, “तुम्हें गिफ्ट में क्या चाहिए?”
अमन ने पहले कुछ नहीं कहा, फिर बोला, “मुझे तुम्हारा पेंग्विन पेनी पसंद है। क्या मैं इसे ले सकता हूँ?”
कुणाल ने पेनी को गले लगाया और थोड़ी देर सोचा। फिर उसे अपनी दादी की बात याद आई: “खुशी बाँटने से बढ़ती है!”
खुशी से मुस्कुराते हुए, कुणाल ने पेनी अमन को दे दिया, जिससे दोनों को बहुत अच्छा महसूस हुआ और वे खुश हो गए।
नैतिक शिक्षा: बाँटने से प्यार बढ़ता है, और यह सबको खुशी देता है।
4. भगवान एक है
(Hindi very short story)

शुभम और जीत बचपन से साथ खेलते, पढ़ते और त्योहार मनाते आए थे। शुभम को भजन सुनना अच्छा लगता था, तो जीत को शबद-कीर्तन गाना। एक दिन स्कूल में एक अनोखा कार्यक्रम हुई – "प्रार्थना में एकता"।
शिक्षक ने सभी बच्चों से कहा, "हर कोई अपनी पसंद की एक प्रार्थना प्रस्तुत करेगा।"
शुभम और जीत कार्यक्रम के लिए बहुत उत्साहित थे।
शुभम बोला, "मैं निर्वाण षट्कम्' पढ़ूँगा।"जीत बोला, "मैं 'एक ओंकार सतनाम' का पाठ करूँगा।"
अगले दिन मंच पर एक-एक कर सभी बच्चों ने एक-एक कर अपनी-अपनी प्रार्थनाएँ पेश की। शुभम ने निर्वाण षट्कम् गया और जीत ने गुरबाणी की पंक्तियाँ सुनाईं। उनके शब्द और भाषा अलग थी, पर भाव एक ही था – भगवान के लिए प्रेम।
बच्चों की प्रार्थनाएँ ऐसी लग रही थीं मानो एक गुलदस्ते में अलग-अलग रंग फूल, और हर फूल का काम, खुशियाँ बाँटना।
कार्यकर्म के अंत में सभी शिक्षकों ने बच्चों के लिए ज़ोरदार तालियाँ बजाई|
संदेश: भगवान एक हैं पर सभी उन्हें अलग-अलग रूपों में देखते हैं। (एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति)
5. सिंबा का साहस
(Hindi Choti Kahani)

एक बार की बात है, एक छोटा शेर था जिसका नाम सिंबा था। सिंबा को अंधेरे से डर लगता था। हर रात वह अपनी गुफा में रहता था और बाहर जाने से डरता था।
एक शाम, एक बड़ा तूफान आया, जिससे जानवरों को तुरंत आश्रय की जरूरत पड़ी। सिंबा डर गया था, लेकिन उसने समझा कि उसे मदद करनी होगी।
अपनी हिम्मत जुटाकर, सिंबा गुफा से बाहर आया और जंगल में चलने लगा। सिंबा ने जानवरों के रहने के लिए एक सुरक्षित जगह ढूँढी।
इसके बाद, सिंबा को गर्व महसूस हुआ और उसने समझा कि बहादुर होने का मतलब यह नहीं है कि डर न लगे, बल्कि डर का सामना करना और दूसरों की मदद करना है। उस दिन से, सिंबा को अंधेरे से डर नहीं लगा। उसने सीखा कि सच्ची हिम्मत दूसरों की मदद करने से आती है, चाहे हमें खुद डर क्यों न लगे।
नैतिक शिक्षा: हिम्मत से अपने डर का सामना करने से हम जीवन की मुश्किलों को पार कर सकते हैं।
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