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मन को शांत करने के 5 गीता उपदेश (The Bhagavad Gita's Answer To Overthinking: 5 Lessons in Hindi)

  • myNachiketa
  • Oct 13
  • 4 min read
The Bhagavad Gita's Answer To Overthinking: 5 Lessons in Hindi Pic 1

क्या आप भी कभी एक ही बात बार-बार सोचते रहते हो? जैसे - मेरे दोस्त क्या कहेंगे, मैं परीक्षा में अच्छा करूँगा या नहीं, या खेल में जीत पायूँगा या नहीं? इसे ही ज़्यादा सोचना या ओवरथिंकिंग कहते हैं। जब हम बहुत ज़्यादा सोचते हैं, तो हमारा मन उलझ जाता है, हम चिंतित और थके हुए महसूस करते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो चिंता मत करें - आप अकेले नहीं हैं। बहुत सारे बच्चे (और बड़े भी!) अपने मन को शांत नहीं कर पाते। लेकिन अच्छी बात यह है कि हमारे पास भगवद्गीता की शिक्षाएँ हैं, जो हमें सिखाती हैं कि कैसे ज़्यादा सोचने से बचें और मन को शांत व खुश रखें।


myNachiketa प्रस्तुत करता है मन को शांत करने के 5 गीता उपदेश (The Bhagavad Gita's Answer To Overthinking: 5 Lessons in Hindi)


भगवद्गीता अर्जुन और कृष्ण के बीच की बातचीत है। अर्जुन डर और उलझन में था, और भगवान कृष्ण ने उसे सिखाया कि कैसे मन को शांत रखना चाहिए, सही सोचना चाहिए और सही काम करना चाहिए। ये सीखें बच्चों के लिए भी मददगार हैं - चाहे पढ़ाई, दोस्ती या खेल-कूद की बात हो। तो चलिए इस अमूल्य ग्रंथ से 5 खास सीखें सीखते हैं, जो हमें ज़्यादा सोचने से रोक सकती हैं और मन को साफ और खुश रख सकती हैं।

पाठ 1: अपने कर्तव्य पर ध्यान दें

हम अक्सर ज़्यादा सोचते हैं क्योंकि हम हमेशा सोचते रहते हैं कि परिणाम क्या होगा। श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, “सिर्फ अपने कर्तव्य पर ध्यान दो, परिणाम की चिंता मत करो।”


श्री कृष्ण अर्जुन को याद दिलाते हैं कि हर किसी का कर्तव्य या धर्म क्या होता है। जब हम अपने जिम्मेदारियों पर ध्यान देते हैं, जैसे होमवर्क करना या दूसरों की मदद करना, तो हमारे पास व्यर्थ चिंता करने का समय कम रहता है।


उदाहरण: अगर आपकी परीक्षा है, तो सिर्फ अच्छे से पढ़ाई करो। नंबर अपने आप अच्छे आएंगे।

पाठ 2: बदलाव को स्वीकार करें

ज़िन्दगी में हमेशा बदलाव आते रहते हैं, जैसे मौसम बदलते हैं! श्री कृष्ण हमें सिखाते हैं कि बदलाव स्वाभाविक है और उसे स्वीकार करना चाहिए। कभी-कभी हम ज़्यादा सोचते हैं क्योंकि हमें डर लगता है कि दुख या परेशानी हमेशा रहेगी। कृष्ण ने अर्जुन को याद दिलाया कि खुशी और दुख आते-जाते रहते हैं, जैसे दिन और रात।


उदाहरण: अगर आप आज फुटबॉल मैच हार जाते हो, तो बुरा लगेगा। लेकिन कल आप जीत सकते हो! कोई भी भावना हमेशा के लिए नहीं रहती।

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पाठ 3: लगाव कम करना सीखें

लगाव कम करना मतलब अपने काम के परिणाम से ज़्यादा जुड़ाव न रखना। लगाव कम करने का मतलब यह नहीं कि हम मेहनत न करें या परवाह न करें। इसका मतलब है कि हम परिणाम को पकड़कर अपने मन को परेशान न करें। भगवान कृष्ण हमें सिखाते हैं कि अपने दिल को डर और इच्छाओं से आज़ाद करना चाहिए, इससे हम ज़्यादा सोचने की आदत से बच सकते हैं।


जब हम सफलता, तारीफ़ या जीत से बहुत जुड़ जाते हैं, तो हमारा मन बार-बार ऐसे सवाल करता है: “अगर मैं फेल हो गया तो?” या “अगर लोगों को मैं पसंद नहीं आया तो?” यही ज़्यादा सोचने की शुरुआत है। लेकिन जब हम इस पकड़ को ढीला कर देते हैं, तो दिल हल्का महसूस करता है और हम जो कर रहे हैं, उसका आनंद ले सकते हैं।

पाठ 4: ध्यान और शांति

जैसे अर्जुन ने कृष्ण की बात ध्यान से सुनी, हम भी ध्यान या शांत समय लेकर अपने दिल को सुन सकते हैं। हर दिन कुछ मिनट चुपचाप बैठना हमारे परेशान मन को शांत कर सकता है। जब आपको किसी बात की चिंता हो, तो गहरी सांस लें और किसी शांत चीज़ पर ध्यान लगाएँ।


The Bhagavad Gita's Answer To Overthinking: 5 Lessons  in Hindi 3

उदाहरण: जब आप पढ़ाई कर रहे हो, लेकिन आपका मन बार-बार कार्टून के बारे में सोच रहा हो, तो धीरे-धीरे ध्यान वापस किताब पर लाएँ। धीरे-धीरे आपका मन सीख जाएगा कि वह आपकी बात सुने।

पाठ 5: विश्वास और समर्पण

जब हम सब कुछ खुद नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं, तो हमारा मन थक जाता है। कृष्ण ने अर्जुन से कहा: “अपनी सारी चिंतायें मुझे दे दो, मैं तुम्हारा ख्याल रखूँगा।” श्री कृष्ण अर्जुन को सिखाते हैं कि ईश्वर की योजना पर भरोसा करना चाहिए और अपनी चिंता छोड़ देनी चाहिए। जब हम अपनी परेशानियाँ भगवान को समर्पित कर देते हैं, तो हमें शांति मिलती है।


उदाहरण: जैसे जब आप सड़क पार करते समय अपने माता-पिता का हाथ पकड़ते हैं, तो आप गाड़ियों के बारे में ज़्यादा नहीं सोचते, क्योंकि आप उन पर भरोसा करते हैं। ठीक इसी तरह, भगवान पर भरोसा करना हमें डर भगाने में मदद करता है।


अंत में, भगवद्गीता की शिक्षाएँ हमें याद दिलाती हैं कि ज़्यादा सोचना हमें आगे बढ़ने में मदद नहीं करता। इसके बजाय, अपने कर्तव्यों पर ध्यान देना, बदलाव को स्वीकार करना, वर्तमान में जीना, शांति पाना और विश्वास रखना हमारी ज़िंदगी को खुशहाल बना सकता है।


तो चलिए, इन शिक्षाओं को अपने दिल में रखें और रोज़ाना अभ्यास करें।

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