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दशहरा पर हिंदी में भाषण (Speech on Dussehra In Hindi)

  • myNachiketa
  • Sep 12, 2024
  • 3 min read
Speech on Dussehra In Hindi

राम नाम अवलंब बिनु, परमारथ की आस।

बरषत वारिद-बूँद गहि, चाहत चढ़न अकास॥


भगवान राम का नाम से ही सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।


आप सभी को मेरा प्रणाम!


आज हम सभी अपने हृदयों में प्रेम और भक्ति का सागर लिए प्रिय प्रभु श्री राम के सम्मान में यहाँ एकत्रित हुए हैं। दशहरे के इस शुभ अवसर पर मुझे प्रभु श्री राम की महिमा में अपने विचार व्यक्त करते हुए बहुत खुशी हो रही है।


जैसा कि आप सभी जानते हैं, दशहरा भगवान राम की राक्षसों के राजा रावण पर विजय और अच्छाई पर बुराई की जीत का प्रतीक है। यह हर साल अश्विन या कार्तिक महीने (जो आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर के बीच आता है) के दसवें दिन मनाया जाता है। यह हमें याद दिलाता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो अच्छाई से कभी जीत नहीं सकती।


आइए, हम सभी अपने महान कवियों, महर्षि वाल्मीकि और संत तुलसीदास द्वारा रचित प्रभु श्री राम की मन को पवित्र करने वाली कथा का आनंद लें।


भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और बचपन से ही वह साहसी, गुणवान और ऊँचे मूल्यों के प्रतीक थे। श्रीराम जब युवा हुए तो अपने पिता का वचन निभाने के लिए वन जान पड़ा। श्रीराम ने सहजता से वनवास स्वीकार किया और महल का राजसी जीवन छोड़ कर अपने प्रिय छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी देवी सीता के साथ वन गए। श्री राम ने अपने कर्तव्य को सभी सांसारिक सुखों से ऊपर रखा और सबको इस राह पर चलने की शिक्षा दी।


वे पंचवटी के वन में कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा जीवन जी रहे थे। एक दिन, श्री राम और लक्ष्मण की अनुपस्थिति में, रावण माता सीता को बलपूर्वक अपने नगर लंका ले गया, क्योंकि वह उनसे विवाह करना चाहता था।


प्रभु श्री राम ने अपनी पत्नी सीता को लंका से वापिस लाने और रावण को उसके बुरे काम की सज़ा देने का संकल्प किया। हनुमानजी, सुग्रीव और वानर सेना की सहायता से प्रभु श्री राम ने रावण को एक भयंकर युद्ध में पराजित किया और सीता माता को उसकी कैद से मुक्त किया। प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता सत्य और गर्व की चमक के साथ अयोध्या लौटे।

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Speech On Dusshera in English

इसीलिए हम दशहरा मनाते हैं, जब प्रभु राम ने रावण का वध किया, जो धर्म की अधर्म पर जीत और सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक है।


धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण होने के साथ-साथ, दशहरा सांस्कृतिक और सामाजिक मेल-जोल का भी समय है। दशहरे के दौरान भगवान राम के जीवन पर आधारित नाटकीय प्रस्तुति, रामलीला का भी आयोजन होता है, जो दस दिनों का उत्सव है। विभिन्न स्थानों पर बड़े मेले लगते हैं जहाँ लोग लोक नृत्य, संगीत, मेलों और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं। साथ ही, वे स्वादिष्ट भोजन और मिठाइयों का भी आनंद लेते हैं। माता-पिता अपने बच्चों के लिए खिलौने और मिठाइयाँ खरीदते हैं।


दशहरे के दसवें दिन रावण, मेघनाथ (रावण के पुत्र) और कुम्भकर्ण (रावण के भाई) के पुतलों को जलाया जाता है, जो बुराई के विनाश और अच्छाई की स्थापना का प्रतीक है। दशहरा हमें यह याद दिलाता है कि चाहे बुराई की कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो उसे सत्य, नैतिकता और धैर्य से पराजित किया जा सकता है।


इस शुभ दिन पर, प्रभु श्रीराम आपको सुख-समृद्धि और जीवन की चुनौतियों को पार करने की शक्ति दें। दशहरे का त्योहार आपके जीवन में प्रकाश लाए और आपको सच की राह पर चलने के लिए प्रेरित करे।


सभी को उमंग और आनंद से भरने के साथ-साथ, दशहरा हमें प्रभु श्री राम की तरह निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करने और साहस एवं दृढ़ता के साथ सत्य के लिए खड़े रहने के लिए प्रेरित करता है। इस दशहरे पर आइए हम सभी प्रभु श्री राम की सीख को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें।


आप सभी को दशहरे की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।


धन्यवाद।

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