हम गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं? (Why We Celebrate Ganesh Chaturthi? in Hindi)
- myNachiketa
- 4 hours ago
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गणेश चतुर्थी भगवान गणेश का जन्मोत्सव है। हाथी के समान मुख वाले गणेश जी सबके प्रिय और पूज्य देवता हैं। माना जाता है कि वे सौभाग्य लाते हैं और जीवन की रुकावटों को दूर करते हैं। जैसे कोई सच्चा मित्र मुश्किल समय में मदद करता है, वैसे ही गणेश जी भी हमारी रक्षा करते हैं और हमें सही राह दिखाते हैं। आइए समझें कि गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है और पूरे भारत में लोग किस तरह प्रेम और आनंद से गणेश जी का स्वागत करते हैं।
myNachiketa प्रस्तुत करता है – हम गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं? पे एक लेख जिस्सको पढ़कर बच्चे आनंद ले सकते हैं और कुछ नया सीख सकते हैं।
गणेश चतुर्थी सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि प्यार, भक्ति और मिलजुलकर मनाने वाला पूरा त्योहार है। इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, खासकर महाराष्ट्र में, जहाँ लोग एक साथ आकर खुशी बाँटते हैं। लेकिन हम यह त्योहार क्यों मनाते हैं? आओ, पढ़ें और जानें!
गणेश जी का जन्म
गणेश जी को माता पार्वती ने बनाया था। वे चाहती थीं कि उनके पास एक प्यारा बेटा हो। उन्होंने मिट्टी से एक बालक बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। यह बालक सबके लिए खुशी और आनंद लाने वाला बना। गणेश चतुर्थी का त्योहार गणेश जी के धरती पर आने का दिन है, जब वे हमें आशीर्वाद और सुख देते हैं।

गणेश जी की शिक्षाएँ
गणेश जी सिर्फ प्यारे भगवान ही नहीं हैं, वे हमें ज़रूरी बातें भी सिखाते हैं:
विघ्नों को दूर करना: गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जिसका मतलब है "रुकावटों को दूर करने वाले।" जैसे कोई दोस्त खेलते समय फर्श से खिलौने हटा देता है ताकि तुम गिरो नहीं, वैसे ही गणेश जी हमारे जीवन की परेशानियाँ और रुकावटें दूर करने में मदद करते हैं।
बुद्धि और ज्ञान: गणेश जी को बुद्धि प्रदायक भी कहा जाता है, यानी बुद्धि और ज्ञान देने वाले। इसलिए किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले—चाहे स्कूल का प्रोजेक्ट हो, संगीत की कक्षा हो या नौकरी का पहला दिन—लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं। माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से हम सही सोच पाते हैं, अच्छे निर्णय ले पाते हैं और चीज़ों को बेहतर समझ पाते हैं।
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गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है?
गणेश चतुर्थी रंगों, ध्वनियों और खुशियों से भरा त्योहार है! इस तरह से फैलती है चारों ओर खुशी:
मूर्ति बनाना: कुम्हार मिट्टी से भगवान गणेश की सुंदर मूर्तियाँ बनाते हैं। हर मूर्ति अलग होती है और अद्भुत कला दिखाती है।
पूजा: परिवार और सभी लोग मिलकर मिलकर पूजा करते हैं, जिसमें वे गणेश जी को फूल, मोदक (मीठे पकवान) और फल अर्पित करते हैं।
सामुदायिक एकता: यह पर्व सबको जोड़ता है। लोग मिलकर गाते, नाचते और जुलूस निकालते हैं। इससे हमें समझ में आता है कि दोस्ती और साथ मिलकर काम करने से खुशी और बढ़ जाती है।

गणेश चतुर्थी दस दिन का त्योहार क्यों होता है?
भगवान गणेश का जन्मदिन चतुर्थी (चौथे दिन) से अनंत चतुर्दशी (चौदहवें दिन) तक मनाया जाता है। ये पूरे दस दिन लोगों को मौका देते हैं कि वे गणेश जी की पूजा करें, उत्सव मनाएँ और आनंद लें, फिर उनकी मूर्ति को जल में विसर्जित करें।
आशीर्वाद और विदाई – जब हम गणेश जी को घर लाते हैं, तो वे हमें दस दिनों तक आशीर्वाद देते हैं। आखिरी दिन उनकी मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, जिससे यह समझ आता है कि हर चीज़ की एक शुरुआत और एक अंत होता है, और हमें प्रेम से विदा करना चाहिए।
रीति-रिवाज़ और एकता – इन दस दिनों में विशेष प्रार्थनाएँ, संगीत, नृत्य, मिठाइयाँ और आपसी मेलजोल होता है।
दस दिन की खुशी, प्रेम और भक्ति के बाद गणेश विसर्जन का समय आता है, जब गणेश जी की मूर्तियाँ पानी में विसर्जित की जाती हैं। यह सुंदर परंपरा जीवन के चक्र को दर्शाती है और हमें यह सिखाती है कि हर पल को पूरे दिल से जीना चाहिए, क्योंकि वही पल आगे चलकर यादें बन जाते हैं।
गणेश चतुर्थी का समय गणेश जी/ गणपति का प्रेम से स्वागत करने, उनसे बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद माँगने और मिलकर उत्सव मनाने का होता है। जब हम उन्हें विदा करते हैं, तब भी हमें याद रहता है कि उनके आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहता हैं।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
Vakratunda Mahakaya Suryakoti Samaprabha
Nirvighnam Kurume Deva Sarva-Kaaryeshu Sarvada
हे गणेश जी, टेढ़ी सूँड और विशाल स्वरूप वाले, जो करोड़ों सूर्यों की तरह चमकते हैं, कृपया मेरे जीवन की सारी रुकावटें सदा दूर करें।

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