top of page

कबीर दास के 10 दोहे

  • myNachiketa
  • May 3, 2024
  • 3 min read

Updated: May 6, 2024



कबीर दास के दोहे

कबीर दास एक महान संत और कवि थे, जिन्होंने दोहे और कविताओं के माध्यम से जीवन के गहरे अर्थों को सरलता से समझाया। उनके दोहे बच्चों के लिए न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि उन्हें जीवन में सही दिशा भी दिखाते हैं। यहाँ हम कबीर दास के 10 दोहों की बात करेंगे, जो बच्चों के लिए महत्वपूर्ण हैं। 



कबीर दास के दोहे

1. दोहा

जल में कुंभ कुंभ में जल है, बाहर भीतर पानी।

फूटा कुंभ जल जल ही समाया, यही तथ्य कथ्यो ज्ञानी।।


अर्थ  

कबीर दास जी कहते हैं हम और भगवान एक हैं।संसार की अलग-अलग चीज़ों के अलग नाम और रूप हैं पर उन सबके मूल में एक ही भगवान हैं।



कबीर दास के दोहे

2. दोहा

पानी में मीन प्यासी रे।

मुझे सुन सुन आवे हासी रे॥


अर्थ  

कबीर दास जी कहते हैं कि लोग अपने चारों ओर मौजूद भगवान या सच्चाई को नहीं पहचानते हैं। वे भगवान को कहीं दूर ढूँढते हैं जबकि वह उनके पास ही है।

 

 

इन दोहों को और गहराई से समझने के लिए पढ़ें हमारी यह विशेष किताब। 



कबीर दास के दोहे

3. दोहा

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि।

हिये तराजू तौल के, तब मुख बाहर आनि॥ 


अर्थ  

कबीर दास जी कहते हैं कि हमें सोच-समझकर बोलना चाहिए। हमारी बोली अनमोल है, इसलिए हमें हृदय की तराजू पर तौलकर बोलना चाहिए ताकि हम सही बात बोलें।

 


कबीर दास के दोहे

4. दोहा

कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढे वन माहि।

तैसा घट राम है, दुनिया देखै नाहि॥ 


अर्थ   

कबीर दास जी कहते हैं कि जैसे हिरण अपनी नाभि में कस्तूरी होते हुए भी जंगल में उसे ढूँढते रहता है, उसी तरह, भगवान हमारे अंदर होते हुए भी लोग उन्हें बाहर ढूँढते हैं

 

 इस दोहे को गहराई से समझने के लिए यह वीडियो देखें। 


कबीर दास के दोहे

5. दोहा 

आंखिन देखी बकरि की खाल।

ताकत बलिहारी राम की, सब घट राखन हारी ॥ 


अर्थ  

कबीर दास जी कहते हैं कि हमें जो दिखाई देता है, वह हमेशा सत्य नहीं होता। भगवान की शक्ति अदृश्य है, और वह सबको संभालते हैं।



 

कबीर दास के दोहे

6. दोहा

झूठे आचरण से, कभी नहीं मिलती प्रीत।

सच्चा मन रखो, तभी होगी सही प्रीत॥ 


अर्थ 

कबीर दास जी कहते हैं कि हमें सच्चाई और सच्चे मन से लोगों से जुड़ना चाहिए। सच्चाई में ही भगवान हैं। 


 

इन दोहों को और गहराई से समझने के लिए पढ़ें हमारी यह विशेष किताब।

कबीर दास के दोहे

7. दोहा

मन के हिय राम बसे, घट-घट के अंतर।

राम नाम हरि नाम का, लेव को सुमिरन॥  


अर्थ 

कबीर दास जी कहते हैं कि भगवान हमारे हृदय में बसे हैं और हर व्यक्ति के भीतर निवास करते हैं। भगवान के नाम का स्मरण करते हुए हमें उनका ध्यान करना चाहिए। 


 

कबीर दास के दोहे

8. दोहा 

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय।

बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय॥ 


अर्थ  

कबीर दास जी कहते हैं कि शिक्षक और भगवान अगर साथ में खड़े हैं तो सबसे पहल गुरु के चरण छूने चाहिए, क्योंकि ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता भी गुरु ही दिखाते हैं।



whatsapp logo

कबीर दास के दोहे

9. दोहा

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।

माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥ 

 

अर्थ  

कबीर दास जी कहते हैं कि धैर्य रखें धीरे-धीरे सब काम पूरे हो जाते हैं, क्योंकि अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो समय आने पर ही लगेगा।



कबीर दास के दोहे

10. दोहा

संतोषी सुख की नेव है, लोलुपता दुख कारी।

साधो संतोष करो, नहीं तो होगा भारी॥


अर्थ 

कबीर दास जी कहते हैं कि संतोष में ही सुख है और लालच दुख का कारण है। हमें संतोष करना चाहिए, नहीं तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं।




More such blogs

Resources

 



1 comentário

Avaliado com 0 de 5 estrelas.
Ainda sem avaliações

Adicione uma avaliação
Convidado:
26 de ago. de 2024
Avaliado com 5 de 5 estrelas.

Best

Curtir
bottom of page