वेदों और उपनिषदों से यह ज्ञान से भरी कहानियाँ पढ़िए! ये कहानियाँ हमें भगवान और खुद को समझने में मदद करती हैं। ये 5 बेहतरीन कहानियाँ बच्चों और बड़ों को जीवन जीने का सही तरीका सिखाती हैं, और सबके लिए विनम्रता और सम्मान की भावना रखने का संदेश देती हैं। इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर, हम बेहतर बन सकते हैं।
myNachiketa आपको इन 5 कहानियों की रोचक यात्रा पर ले जाता है जिनमें उपनिषदों का अनमोल ज्ञान समाया हुआ है।
श्वेतकेतु की कहानी
यह कहानी हमें सिखाती है कि संसार की हर चीज़ में भगवान है, हम उन्हें देख नहीं सकते पर हर चीज़ में उन्हें महसूस कर सकते हैं। जैसा की छान्दोग्य उपनिषद् में कहा गया है, "तत् त्वम् असि"- तुम भगवान का रूप हो।
एक समय की बात है उद्दालक नाम के एक महान ऋषि थे। उनका 12 साल का एक बेटा था, श्वेतकेतु। श्वेतकेतु अपना ज़्यादातर समय दोस्तों के साथ खेलने और मस्ती करने में बिताता था। उसके पिताजी को उसकी शिक्षा की बहुत चिंता थी इसलिए उन्होंने श्वेतकेतु को...
सत्यकाम की कहानी
छान्दोग्य उपनिषद् की यह कहानी हमें सिखाती है कि इस संसार की हर चीज़ - धरती, आकाश, सूरज, चाँद, आग, हवा, पानी, सभी जीव-जंतु, यहाँ तक की हमारे शरीर के सभी अंगों और मन में भी भगवान हैं।
छान्दोग्य उपनिषद् में एक दस साल के लड़के की कहानी है, जिसका नाम था सत्यकाम। सत्यकाम एक दिन ऋषि गौतम के आश्रम में पहुँचा। वह उनका शिष्य बनना चाहता था।
ऋषि ने उससे पूछा, “तुम्हारे पिता का नाम क्या है? तुम्हारा गोत्र क्या है?”
लड़के ने कहा...
गार्गी
बृहदारण्यक उपनिषद् में वर्णित गार्गी के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि हमे अपने ज्ञान का घमंड नहीं करना चाहिए और अपने से ज़्यादा ज्ञानी व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए।
एक बार राजा जनक के दरबार में ऋषियों की सभा लगी। उस सभा में दूर-दूर से बहुत ही महान और ज्ञानी ऋषि पहुँचे। उन ऋषियों में एक बड़े ही महान ऋषि थे - ऋषि याज्ञवल्क्य।
सभी ऋषि उनसे वेद के विषय पर गहरे प्रश्न कर रहे थे जिसका वह सही-सही उत्तर दे रहे थे। गार्गी ने ऋषि याज्ञवल्क्य को चुनौती देते हुए कहा, “मैं आपसे दो प्रश्न पूछूँगी...
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नचिकेता की कहानी
नचिकेता की कहानी एक प्राचीन हिन्दू ग्रन्थ कठोपनिषद् में वर्णित है जो हमें सिखाती है कि हमें सवाल पूछने से कभी डरना नहीं चाहिए क्योंकि सवाल ही हमें जवाब तक पहुँचाते हैं।
एक बार नचिकेता के पिता ऋषि वाजश्रवा एक यज्ञ कर रहे थे। इस यज्ञ में उन्हें अपनी सबसे अच्छी और प्रिय चीज़े, ब्राह्मणों को दान में देनी थी। पर वह दान में बूढ़ी गायें दे रहे थे, जो बहुत कमज़ोर थीं और दूध भी नहीं देती थी। ये गायें, ब्राह्मणों के किसी काम की नहीं थीं।
नचिकेता यह देखकर परेशान हो गया और जाकर पिताजी से बोला...
मैत्रेयी
बृहदारण्यक उपनिषद् यह कहानी हमें सिखाती है कि ज्ञान से बढ़कर और कुछ नहीं क्योंकि सच्चे ज्ञान से ही हम भगवान को पा सकते है।
बहुत पुराने समय की बात है याज्ञवल्क्य नाम के एक महान और ज्ञानी ऋषि थे। उनकी बहुत ही कुशल और बुद्धिमान पत्नी थीं मैत्रेयी।
एक दिन ऋषि याज्ञवल्क्य ने मैत्रेयी से कहा, “मैं अपना सारा धन तुम्हें देकर, जंगल जाकर ध्यान करूँगा और वहीं अपना सारा जीवन बिताऊँगा। तुम इस धन का इस्तेमाल कर अपना जीवन सुख से बिता सकती हो।”
इस बात पर मैत्रेयी ने अपने पति से पूछा...
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