कबीर दास के 10 प्रसिद्ध दोहे बच्चों के लिए (10 Popular Kabir Das Dohe for Kids in Hindi)
- myNachiketa
- 2 days ago
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कबीर दास भारत एक प्रसिद्ध कवि और संत थे, जिन्होंने लोगों को आपस में प्रेम से रहने और सादा जीवन जीने की प्रेरणा दी। वह अपनी कविताओं और गीतों के ज़रिए बड़ी बातें बहुत आसानी से समझाते थे — जैसे सबके प्रति करुणा रखना, एकता से रहना, और यह समझना कि भगवान हर जगह मौजूद हैं। कबीर दास के दोहे छोटे लेकिन बहुत गहरे संदेश देने वाले होते हैं, जो हमें जिंदगी के अहम सबक सिखाते हैं।
myNachiketa प्रस्तुत करता है 10 लोकप्रिय कबीर दास के दोहे। बच्चे इन दोहों से दया, धैर्य और भगवान से प्रेम करना सीख सकते हैं।

1. दोहा
जहाँ काम वहाँ नाम नहीं, जहाँ नाम वहाँ काम।
दोनों कभी नहीं मिलते, रवि रजनी इक धाम।
Jaha kam taha nam nahi, Jaha nam taha kam
Dono kabhu nahi milte, Ravi rajni ek dham
अर्थ
कबीर दास कहते हैं कि जहाँ इच्छा और लालच होता है, वहाँ भक्ति (भगवान का नाम) नहीं हो सकती। और जहाँ भक्ति (भगवान का नाम) होती है, वहाँ इच्छा और लालच नहीं हो सकता। ये दोनों कभी एक साथ नहीं रह सकते, जैसे सूरज और रात एक ही आकाश में नहीं हो सकते।

2. दोहा
सुख सागर का शील है, कोई न पावे थाह।
शब्द बिना साधू नहीं, द्रव्य बिना नहीं शाह॥
Sukh sagar ka sheel hai, koi na paave thaah.
Shabd bina sadhu nahi, dravya bina nahi shah.
अर्थ
कबीर दास कहते हैं कि सिर्फ़ समुद्र की शान्ति देखकर उसकी गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उसी तरह, अगर कोई ज्ञानी व्यक्ति अपना ज्ञान न बताए, तो उसे पहचाना नहीं जा सकता। और राजा जिसके पास धन न हो, उसे राजा नहीं कहा जा सकता।
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3. दोहा
फल कारण सेवा करे, करे ना मन से काम।कहे कबीर सेवक नहीं, चाहे चौगुना दाम॥
Phal kaaran seva kare, kare na man se kaam.
Kahe Kabir sevak nahi, chahe chauguna daam.
अर्थ
कबीर दास कहते हैं कि जो व्यक्ति केवल इनाम (फल) के लिए काम करता है और दिल से ईमानदारी से काम नहीं करता, वह सच्चा सेवक नहीं होता। ऐसा व्यक्ति अपने काम के लिए चार गुना ज़्यादा इनाम माँगता है।

4. दोहा
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय।यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए॥
Jag mein bairee koi nahin, jo man sheetal hoy.
Yeh aapa to daal de, daya kare sab koe.
अर्थ
कबीर दास कहते हैं कि अगर आपका दिल शान्त और स्थिर रहता है, तो इस दुनिया में कोई आपका दुश्मन नहीं होता। जब आप अपना अहंकार छोड़कर दया दिखाते हैं, तो हर कोई आपके साथ प्यार और करुणा से पेश आता है।
इन दोहों के बारे में और जानने के लिए यह वीडियो देखें।

5. दोहा
कबीरा गर्व न कीजिए, कभी न हंसिए कोए।
अजहुँ नाव समुद्र में, न जाने क्या होए॥
Kabira garav na keejiye, kabhi na haasye koi.
Ajahu naav samudra mein, na jaane ka hoye.
अर्थ
कबीर कहते हैं, खुद पर घमंड मत करो और किसी का मजाक मत उड़ाओ, क्योंकि समय और हालात हर किसी के लिए बदलते रहते हैं। हमेशा याद रखो, हमारी जिंदगी समुद्र में नाव की तरह है; हमें नहीं पता अगले पल क्या हो सकता है।

6. दोहा
कुटिल वचन सबतें बुरा, जासे होत न हार।
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।
Kuttil bachan sabse bura, jaase hot na haar.
Sadhu bachan jal roop hai, barse amrit dhar.
अर्थ
कबीर दास कहते हैं कि कड़वे शब्द सबसे बुरे होते हैं, जैसे हाथ मदद करने के बजाय मारने के लिए उठाया जाए। एक ज्ञानी व्यक्ति के शब्द पानी जैसे होते हैं, जो पोषण देते हैं और मिठास व समझदारी लाते हैं, जैसे अमृत की बारिश।
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7. दोहा

खीर रूप हरि नाँव है, नीर आन व्यौहार।
हंस रूप कोइ साध है, तत का जाणहार॥
Kheer roop Hari naav hai, neer aan vyavahaar.
Hans roop koi saadh hai, tat ka jaanhaar.
अर्थ
कबीर दास कहते हैं कि सत्य को जानना या भगवान का नाम मीठी खीर की तरह है, और इस दुनिया की बाकी चीजें उसमें मिली पानी जैसी हैं। केवल सच्चा संत ही हंस की तरह खीर से पानी अलग करना जानता है। मतलब, जो इस भटकाव भरी दुनिया में सबसे बहुमूल्य चीज़ (भगवान का नाम) पहचान सकता है।

8. दोहा
पाँच तत्त्व के भीतरे, गुप्त बस्तु अस्थान।
बिरला मर्म कोई पाइ हैं, गुरु के शब्द प्रमान॥
Paanch tattva ke bheetare, gupt bastu asthaan.
Birla marm koi paai hai, guru ke shabd pramaan.
अर्थ
कबीर दास कहते हैं कि धरती, पानी, आग, हवा और आकाश—इन पाँच चीज़ों के अंदर कुछ बहुत खास और छुपा हुआ है, जो भगवान या सत्य है। इस राज़ को केवल कोई असाधारण और समझदार व्यक्ति ही समझ सकता है, जैसा गुरुओं ने बताया है।


9. दोहा
रात गवाई सोय के, दिवस गवाया खाय।
हीरा जन्म अनमोल था, कौड़ी बदले जाय॥
Raat gavai soy ke, divas gavai khay.
Heera janam anmol tha, kaudi badle jay.
अर्थ
कबीर कहते हैं कि लोग रात को सोने और दिन को खाने में बिता देते हैं, जिससे उनका कीमती समय बर्बाद हो जाता है। जिंदगी बहुत खास और कीमती होती है, जैसे कि हीरा। लेकिन अगर समय का सही उपयोग न किया जाए, तो यह हीरा सीप (बेकार) की तरह हो जाता है।

10. दोहा
संगति सो सुख उपजे, कुसंगति सो दुःख होय।
कह कबीर तह जाइए, साधू संग जहां होय॥
Sangati so sukh upje, kusangati so dukh hoy.
Kah Kabir tah jaiye, sadhu sang jahan hoy.
अर्थ
अच्छी संगत खुशी लाती है, जबकि बुरी संगत दुख और परेशानियाँ देती है। कबीर दास कहते हैं, हमेशा वहाँ जाओ जहाँ समझदार और दयालु लोग हों।
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