कबीर दास जयंती पर भाषण (Speech on Kabir Das Jayanti in Hindi)
- myNachiketa
- 1 hour ago
- 3 min read

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
कबीरदास कहते हैं कि विनम्र होना और दूसरों के साथ ज्ञान बाँटना ही महान लोगों की पहचान है।
आज हम सब कबीर दास जयंती के पावन अवसर पर यहाँ एकत्र हुए हैं। इस शुभ अवसर पर, मैं महान कवि, संत और दार्शनिक संत कबीरदास जी के सम्मान में, मैं अपने विचार आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता/चाहती हूँ।
कबीरदास जी 15वीं शताब्दी के संत थे। उन्होंने अपने सरल और प्रभावी दोहों के माध्यम से दया और समानता का संदेश पूरे समाज को दिया। उनके दोहे ज्ञान का वो प्रकाश हैं जो हमारे मन के अँधेरे को दूर कर हमें सही जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
कबीरदास जी का जीवन बहुत ही साधारण और सादा था। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था और उन्हें एक जुलाहे दंपति ने पाला था। एक कथा के अनुसार, वह एक शिशु के रूप में नदी के किनारे टोकरी में तैरते हुए मिले थे, और नीरू तथा नीमा नामक एक जुलाहा दंपत्ति ने उन्हें गोद लिया और बड़े प्यार से उनका पालन-पोषण किया।
बचपन से ही कबीरदास जी का हृदय प्रेम और ज्ञान से भरा हुआ था। उन्होंने सरल हिंदी में सैकड़ों सुंदर दोहे रचे, ताकि सभी उन्हें आसानी से समझ सके और सच या भगवान की खोज की यात्रा की शुरुआत कर सके। उनके दोहे इतने प्रसिद्ध हो गए कि आज कई स्कूलों में उन्हें पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है।
कबीर के दोहे हमें हमेशा महत्वपूर्ण जीवन मूल्य सिखाते हैं — सच बोलना, ईमानदारी से जीना और दूसरों के प्रति दयालु रहना।
भगवान की खोज | बच्चों के लिए गीता और उपनिषदों का ज्ञान | श्लोक और मंत्र | 9-12 साल के बच्चों के लिए
कबीरदास जी ने हमें सिखाया कि हर प्राणी में भगवान का अंश है। वे सभी धर्मों का समान रूप से आदर करते थे और सभी से सम्मान का व्यवहार करने की प्रेरणा देते थे।
उनका मानना था कि बिना समझ के रीति-रिवाज निभाने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, अच्छे कर्म करना और दूसरों से प्रेम करना।
वह हमें यह याद दिलाते हैं कि भगवान की नजर में हम सब एक समान हैं, और हमें आपसी शांति और सद्भावना के साथ जीना चाहिए। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि भगवान या सच को अपने भीतर खोजो, न कि बाहर की दुनिया में।
कबीरदास जी ने अपने दोहों के माध्यम से गुरु (शिक्षक) के महत्व को भी समझाया, जो हमें ज्ञान देते हैं और सत्य को समझने में हमारी सहायता करते हैं।
कबीर दास जयंती ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है जो आमतौर पर मई या जून में पड़ती है। इस दिन लोग उनके दोहों को सुनते हैं, भजन गाते हैं और उनके संदेश को याद करते हैं।
इस अवसर पर लोग ज़रूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करते हैं, जिससे दया और करुणा का संदेश फैलता है।
कई स्कूलों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जहाँ बच्चे कबीरदास जी के दोहे सुनाते हैं और उनके अर्थ समझाते हैं, ताकि उनके जीवन और शिक्षाओं को सब जान सकें।

कबीर दास जयंती एक आनंद दिन है, जब हम एक ऐसे संत को याद करते हैं जिन्होंने सच्चाई और मानवता से प्रेम किया। कबीर के शब्द हमें सिखाते हैं कि परिवर्तन हमारे भीतर से शुरू होता है। उनका एक सरल दोहा हमें यह सिखाता है कि हमें सबसे पहले अपने आप को देखना चाहिए और अपनी कमियों को सुधारना चाहिए।
आइए, हम कबीरदास जी के गहरे ज्ञान से प्रेरित होकर ईमानदारी और प्रेम का जीवन जीने का प्रयास करें। मैं सभी से आग्रह करता/करती हूँ कि कबीरदस जी के अधिक से अधिक दोहे पढ़ें और उनके संदेश को हर दिन अपने जीवन में अपनाएँ।
धन्यवाद और आपसभी को कबीरदास जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ!
इन विचारों को और गहराई से समझने के लिए हमारी पुस्तकें खरीदें और पढ़ें

More such blogs
Resources
Comments