नचिकेता द्वारा यमराज से पूछे गए तीन प्रश्न (Three Questions asked by Nachiketa to Yama in Hindi)
- myNachiketa
- Oct 15
- 4 min read

कठोपनिषद की नचिकेता की कहानी हिन्दू दर्शन की सबसे प्रेरक कहानियों में से एक है। नचिकेता एक छोटा लड़का था, जो जिज्ञासु और साहसी था। वह जीवन, मृत्यु और आत्मा (सच्चा स्वरूप) के बारे में जानने के लिए सीधे यमराज के पास गया। आइए जानें कि नचिकेता ने यमराज से कौन से तीन प्रश्न या वरदान मांगे और सीखें कि सत्य की खोज, ज्ञान और धैर्य कितना महत्वपूर्ण है।
myNachiketa प्रस्तुत करता है - नचिकेता द्वारा यमराज से पूछे गए तीन प्रश्न। बच्चों के लिए पढ़ने और सीखने के लिए, यह कहानी हमें जीवन, मृत्यु, आत्मा और साहस और जिज्ञासा के साथ सत्य की खोज के महत्व के बारे में बताती है।
नचिकेता की यमराज के घर की यात्रा
बहुत समय पहले एक लड़का था जिसका नाम नचिकेता था। वह बहुत होशियार, ईमानदार और जिज्ञासु था - उसे जीवन के बारे में सब कुछ जानने की इच्छा थी। एक दिन उसके पिता ऋषि वाजश्रव ने एक बड़ा यज्ञ किया। इस यज्ञ में उन्हें बहुत-सी गायें दान करनी थीं। लेकिन उन्होंने बूढ़ी और कमजोर गायें दान में दीं, जो न तो दूध दे सकती थीं और न ही किसी काम की थीं।
नचिकेता को यह बात सही नहीं लगी। उसने सोचा कि दान तो हमेशा सच्चे मन से और सबसे अच्छा देना चाहिए। इसलिए उसने अपने पिता से कहा,“पिताजी, आप मुझे किसे देंगे?” उसने यह सवाल बार-बार पूछा। पहले तो पिता ने उसे अनदेखा किया, पर जब नचिकेता बार-बार वही पूछने लगा, तो क्रोध में आकर पिता बोले,“मैं तुम्हें यमराज, यानी मृत्यु के देवता को दे दूँगा! वही तुम्हारे सवालों का जवाब देंगे।” नचिकेता सच्चाई पर चलने वाला लड़का था। उसने अपने पिता की बात को सच माना और यमराज के घर जाने का निश्चय किया।

जब नचिकेता यमराज के घर पहुँचा, तो यमराज वहाँ नहीं थे। नचिकेता तीन दिन और तीन रात बाहर ही बैठा रहा - बिना खाना खाए और बिना पानी पिए।फिर भी उसने शिकायत नहीं की और धैर्य से इंतज़ार करता रहा।
जब यमराज लौटे, तो उन्होंने देखा कि एक छोटा सा बालक उनके द्वार पर शांति से बैठा है। उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ और साथ ही दयालुता भी आई। यमराज ने कहा,“प्यारे बच्चे, तुमने मेरे यहाँ बिना भोजन किए तीन दिन और रातें बिताई हैं।मैं तुम्हारी सहनशीलता से बहुत प्रसन्न हूँ। इसलिए मैं तुम्हें तीन वर (तीन इच्छाएँ) देता हूँ। जो चाहो, माँग लो।”
नचिकेता के तीन वरदान
पहला वरदान – पिता से शांति और प्रेम
नचिकेता ने कहा,“जब मैं घर लौटूँ, तो मेरे पिताजी मुझे प्यार से मिलें और मुझसे रूठे न रहें।” नचिकेता चाहता था कि उसके पिता का दिल शांत हो जाए और वे समझें कि उसका जाना सत्य की खोज के लिए था। यमराज मुस्कुराए और बोले,“तुम्हारी यह इच्छा तुरंत पूरी होगी, नचिकेता।
दूसरा वरदान – अग्नि विद्या का ज्ञान
फिर नचिकेता ने कहा,“हे यमराज, मुझे अग्नि विद्या सिखाइए - वह पवित्र यज्ञ की विधि, जिससे लोग स्वर्ग पहुँच सकते हैं।” यमराज ने खुशी से यह वरदान दिया और नचिकेता को अग्नि यज्ञ का पूरा ज्ञान सिखाया। यह विद्या केवल आग जलाने की नहीं थी, बल्कि यह सिखाती थी कि अग्नि पवित्रता, दान और त्याग का प्रतीक है। यमराज ने बताया कि जब कोई व्यक्ति सही तरीके से अग्नि यज्ञ करता है, तो वह ईश्वर से जुड़ता है, अपने जीवन में सच्चाई और धर्म का पालन करता है, और दूसरों को भी सही रास्ता दिखा सकता है।
तीसरा वरदान – मृत्यु के बाद क्या होता है
अपने तीसरे वरदान में नचिकेता ने सबसे कठिन सवाल पूछा:“कुछ लोग कहते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा रहती है, और कुछ लोग कहते हैं कि नहीं रहती। मुझे सच बताइए कि मृत्यु के बाद वास्तव में क्या होता है?”
शुरुआत में यमराज जवाब देने से बचने लगे। उन्होंने नचिकेता को धन, लंबी उम्र, सुंदर उपहार और राज्य तक देने का प्रयत्न किया। लेकिन नचिकेता ने सभी भौतिक चीज़ें ठुकरा दी और कहा,“ये सब चीज़ें स्थायी नहीं हैं। मैं आत्मा और सत्य के बारे में जानना चाहता हूँ।”

अंत में, यमराज नचिकेता की बहादुरी और बुद्धि से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने समझाया:
शरीर मर जाता है, लेकिन आत्मा कभी नहीं मरती।
आत्मा सदैव रहती है, कभी नहीं बदलती, और यह ब्रह्म (सर्वोच्च सत्य) के साथ एक है।
असली शांति और खुशी तब ही मिलती है जब हम इस सदैव रहने वाली आत्मा को समझते हैं।
जब हम समझते हैं कि हमारे अंदर की आत्मा अनंत ब्रह्म के समान है, तो हम जान जाते हैं कि हमारा सच्चा स्वरूप कभी नहीं बदलता, न दुख पाता है, और न डरता है।
नचिकेता के तीन सवालों से मिलने वाली सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है:
नचिकेता के जैसे सत्य बोलो और निडर रहो।
धन-दौलत और सुख-सुविधाएँ हमेशा नहीं रहते, लेकिन ज्ञान और सत्य सदा रहते हैं।
आत्मा कभी नहीं मरती - यह अमर और पवित्र है।
सच की खोज में एक बच्चा भी सबसे बड़ा ज्ञान पा सकता है।
प्रिय बच्चों, आकाश में सूरज के बारे में सोचो। हर दिन सूरज उगता और डूबता है। कभी-कभी बादल उसके ऊपर छा जाते हैं, लेकिन क्या सूरज चमकना बंद कर देता है? नहीं! सूरज हमेशा मौजूद रहता है। ठीक उसी तरह, हमारा शरीर बदल सकता है, लेकिन हमारी आत्मा सूरज की तरह है, हमेशा रहती है, हमेशा चमकती है।
तो बच्चों, नचिकेता की कहानी हमें यह सिखाती है कि असली ज्ञान धन-दौलत या सुख-सुविधाओं में नहीं, बल्कि यह जानने में है कि हम वास्तव में कौन हैं। जब हम समझते हैं कि हमारी आत्मा, हमारा सच्चा स्वरूप, सूरज की तरह अमर और उज्ज्वल है, तो हम निर्भय, शांत और खुश हो जाते हैं। जैसे नचिकेता ने किया, हमें भी हमेशा सवाल पूछने चाहिएं, सत्य जानना चाहिए और साहस के साथ जीवन जीना चाहिए।
बच्चों के लिए और भी प्रेरक कहानियाँ और सीख जानने के लिए हमारी किताबें खरीदें

More such blogs
Resources




















Comments