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दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi)

  • myNachiketa
  • Sep 13, 2024
  • 3 min read

Updated: Apr 17



Essay on Dussehra in Hindi



दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह हिंदू पंचांग के अश्विन मास के दसवें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आता है। यह त्योहार दो मुख्य घटनाओं का उत्सव है : भगवान राम की राक्षसों के राजा रावण पर विजय और देवी दुर्गा का राक्षस महिषासुर पर जीत। इस पर्व को पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। दशहरे का धार्मिक और पौराणिक महत्व भी है।


धार्मिक और पौराणिक महत्व

"दशहरा" शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: "दश" (जिसका अर्थ है दस) और "हरा" (जिसका अर्थ है हार)। इसका तात्पर्य दस सिर वाले रावण की प्रभु श्रीराम द्वारा हार से है। रामायण के अनुसार, रावण लंका का राजा था। उसने रामजी की पत्नी, देवी सीता का अपहरण कर लिया था। उन्हें बचाने के लिए श्रीराम, हनुमानजी, अपने भाई लक्ष्मण और वानर सेना की मदद से रावण के खिलाफ युद्ध के लिए निकले। एक भीषण युद्ध के बाद, श्रीराम ने रावण का वध किया, जो धर्म (सत्य) की अधर्म (असत्य) पर विजय का प्रतीक है।




भगवान राम की रावण पर विजय के साथ-साथ, दशहरा या विजयादशमी देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत का भी प्रतीक है। महिषासुर ने ब्रह्मांड में भारी तबाही मचाई थी। देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ। दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया और संसार में सुख-शांति दोबारा कायम की। इस जीत को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जिसका अर्थ है जीत का दिन। दशहरा पूरे भारत में बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।


दशहरा कैसे मनाया जाता है

दशहरे के अवसर पर देश के कई हिस्सों में रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें रामायण की कथा के अनुसार प्रभु राम की कहानी को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह कार्यक्रम दस दिनों तक चलता है और दसवें दिन रामलीला का समापन प्रभु राम की रावण पर जीत के साथ होता है। इस दिन रावण, मेघनाद (रावण का पुत्र), और कुम्भकर्ण (रावण का भाई) के बड़े पुतलों को जलाया जाता है, जो अच्छाई की बुराई पर जीत को दर्शाता है। लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं और इस आयोजन को देखते हैं वे मेलों और अन्य उत्सवों का आनंद भी लेते हैं।


देश के कुछ हिस्सों में इसे विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जहाँ माँ दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा होती है। देवी दुर्गा की सुंदर प्रतिमाएँ बनाई जाती हैं और उन्हें सजाया जाता है। सभी भक्त बड़े ही उमंग और उत्साह के साथ माँ दुर्गाकी पूजा करते हैं।


दसवें दिन, विजयादशमी को, देवी दुर्गा की सुंदर प्रतिमाओं का नदियों और झीलों में विसर्जन किया जाता है। यह घटना माँ दुर्गा की महिषासुर पर विजय के बाद उनके घर लौटने का प्रतीक है। इस उत्सव के में माँ दूर्गा की मूर्ती की शानदार शोभायात्रा निकाली जाती है और लोग नृत्य-संगीत के साथ दुर्गा माँ को विदा करते हैं।


सांस्कृतिक प्रभाव

दशहरा केवल एक त्योहार नहीं है, यह एकता का उत्सव है। देश के हर वर्ग से लोग पूरे जोश और उत्साह के साथ इस उत्सव में हिस्सा लेते हैं। यह त्योहार एकता और दोस्ती को बढ़ावा देता है क्योंकि लोग अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर को याद करते हुए एकजुट होते हैं। यह परिवारों के मिलने, आनंद लेने और अपने संबंधों को मजबूत करने का एक सुनहरा मौका है।


निष्कर्ष

दशहरा अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है, और हम सभी को सच्चाई और अच्छाई के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। दशहरा हमें अहंकार, क्रोध और लालच जैसी बुरी आदतों पर विजय प्राप्त करने और भगवान राम और माँ दुर्गा की साहस, दृढ़ संकल्प और सत्य के प्रति प्रेम जैसे गुणों को अपनाने की शिक्षा देता है।

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