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दिवाली पर 10 लाइन (10 lines on Diwali in Hindi)

Updated: 4 days ago


   10 lines on Diwali in Hindi

दीवाली या दीपावली, भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। इसे "प्रकाश का पर्व" भी कहा जाता है। इस दिन भगवान राम 14 वर्षों का वनवास पूरा कर और रावण को पराजित कर अयोध्या लौटे थे। अयोध्या के लोगों ने भगवान राम के स्वागत के स्वागत में पूरे नगर को दीपों से सजाया और प्रकाश से आलोकित किया। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।


myNachiketa पेश करता है दिवाली पर 10 लाइन


  1. दीवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या की रात को मनाया जाता है, जो अक्टूबर और नवंबर में आती है। यह उत्सव तीन दिनों तक चलता है।


  2. पहला दिन - धनतेरस: उत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है, जो सोना, चांदी जैसी वस्तुएँ खरीदने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन लोग भगवान कुबेर और स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं।


  3. दूसरा दिन - नरक चतुर्दशी: इसे छोटी दीवाली के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं।


  4. तीसरा दिन - दीवाली: दीवाली का मुख्य दिन भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।


  5. दीवाली के दौरान घरों को रंगोली से सजाया जाता है और दीये व मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं। आतिशबाज़ी से आकाश जगमगा उठता है जिससे उत्सव में और भी उमंग भर जाता है।


  6. दिवाली पर अनेक तरह की पूजा-अर्चनाएँ की जाती हैं, जिनमें धन की देवी माँ लक्ष्मी और बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा प्रमुख है।


  7. यह परिवारों के मेल-जोल और एक दुसरे के साथ खुशियाँ बाँटने का समय है। इस विशेष मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और परिवार व दोस्तों के बीच बाँटी जाती हैं। दिवाली नएपन का प्रतीक है, इस दिन लोग नए कपड़े और अन्य चीज़ें खरीदते हैं।


  8. कई समुदाय मेलों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिसमें लोग हर्षोल्लास से भाग लेते हैं। दिवाली के दिन लोग ज़रुरतमंदों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं जो करुणा की भावना को दर्शाता है।


  9. दीवाली का संपूर्ण भाव खुशी, आशा, सकारात्मकता और एकता का होता है। दीवाली को मनाने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं पर लोगों की भावनाएँ एक जैसी होती हैं।


  10. दीवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं है; यह सांस्कृतिक धरोहर, पारिवारिक बंधनों और अंधकार पर प्रकाश की जीत का उत्सव है। दीवाली हमें भगवान राम की शिक्षाओं का पालन करने, अपने कर्तव्यों को निस्वार्थ भाव से निभाने और सत्य का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देती है।

 
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