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Speech on Guru Purnima in Hindi (गुरु पूर्णिमा पर भाषण)

  • myNachiketa
  • Jul 4
  • 2 min read

Speech on Guru Purnima in English

गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाय।

बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।


स्वामी विवेकानंद ने कहा था,“गुरु की कृपा से शिष्य बिना किताब पढ़े भी पंडित बन सकता है।”


सभी उपस्थित जनों को मेरा प्रणाम। आज मैं यहाँ गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालने और हमारे जीवन में गुरु के महत्व को बताने के लिए उपस्थित हूँ।


संस्कृत में ‘गुरु’ का अर्थ होता है अंधकार को दूर करने वाला। गुरु केवल एक शिक्षक नहीं होता, बल्कि हमारे जीवन का मार्गदर्शक भी होता है। ज्ञान और बुद्धि देने से लेकर अपने शिष्यों में अच्छे संस्कार और मूल्य स्थापित करने तक, गुरु हमारे विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में हम अपने श्रेष्ठ गुरुजनों के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने के लिए गुरु पूर्णिमा मनाते हैं।


गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो आमतौर पर जून या जुलाई में आती है। इस दिन हम महर्षि वेद व्यास को याद करते हैं, जिन्होंने ईश्वर, आत्मा और जीवन के गहरे ज्ञान को वेदों में संकलित किया। उन्हें महाभारत और पुराणों के रचयिता के रूप में भी माना जाता है।

गुरु पूर्णिमा शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच विश्वास और सम्मान के मजबूत बंधन का उत्सव है। यह हमारे शिक्षकों को धन्यवाद करने का अवसर है, जिन्होंने हमें निःस्वार्थ भाव से ज्ञान और कौशल सिखाए।


एक सच्चे गुरु या शिक्षक के बिना जीवन ऐसा है जैसे कोई व्यक्ति आँखों पर पट्टी बाँधकर ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर चल रहा हो। हमारे शिक्षक हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने और सही दिशा में बढ़ने का मार्ग दिखाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को उनके जीवन की सबसे कठिन परिस्थिति में सही मार्ग दिखाया और उन्हें कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।


अब मैं आपको एक सुंदर कहानी सुनाती हूँ। एक बार स्वामी विवेकानंद आर्थिक कठिनाइयों के कारण बहुत परेशान थे। तब उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें ईश्वर से प्रार्थना करने की सलाह दी। स्वामी विवेकानंद ने ऐसा ही किया और उनका ईश्वर से गहरा संबंध बन गया। ईश्वर का अनुभव करना स्वामी विवेकानंद के लिए उनके महान गुरु के बिना संभव नहीं हो पाता। ऐसी कई गुरु-शिष्य की कहानियाँ हैं जो आज भी हमें प्रेरणा देती हैं।


इस गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर, आइए हम सभी मिलकर अपने शिक्षकों का धन्यवाद करें जिन्होंने हमें प्रेम और करुणा से जीवन जीने की राह दिखाई। ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमारे गुरुजनों का आशीर्वाद हमें आगे बढ़ने और जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता रहे।


धन्यवाद।

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